मुजफ्फरनगर। बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षक-शिक्षिकाओं ने टैबलेट पर ऑनलाइन उपस्थिति लगाने का विरोध करते हुए कलक्ट्रेट का घेराव करते हुए नारेबाजी की। शिक्षकों ने कहा कि डिजिटल हाजिरी का आदेश अव्यावहारिक है। उन्होंने ऐलान किया कि 11 और 15 जुलाई को फिर से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
परिषदीय विद्यालयों में पहले दिन किसी भी स्कूल में शिक्षकों ने डिजिटल अटेंडेंस टैबलेट पर चेहरा दिखाकर उपस्थिति नहीं लगाई। शिक्षक-शिक्षिकाओं ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया। कलक्ट्रेट पहुंचे शिक्षकों ने व्यवस्था में बदलाव की मांग रखी।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष अरविंद मलिक ने कहा कि पूरे यूपी में केवल नौ अध्यापकों ने ही ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराई है। आदेश निकालने वाले भी समय पर नहीं पहुंचते है। आदेश बदला जाना चाहिए।
महिला शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष वंदना बालियान ने कहा कि शिक्षक-शिक्षिकाओं को उनके मूल कार्य से हटाकर कंप्यूटर ऑपरेटर बना दिया गया है। कई गांव के स्कूल ऐसे है, जहां तक पहुंचने के लिए कोई साधन भी नहीं होता है। अध्यापकों को इन कार्यों में लगाकर बच्चों को कहां से निपुण बनाया जाएगा।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष संजीव बालियान ने कहा कि डिटिजल उपस्थिति बेसिक शिक्षा परिषद की नियमावली में नहीं है। ऐसे में किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। सरकार को इस बार झटका लगा है, अबकी बार सूपड़ा ही साफ कर दिया जाएगा।
विरोध प्रदर्शन के दौरान सभी शिक्षक संगठन एक साथ नजर आए। इस मौके पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, महिला शिक्षक संघ, प्राथमिक शिक्षक संघ (सुदेश कुमार), जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन, उर्दू एसोसिएशन, शिक्षा मित्र शिक्षक संगठन, अनुदेशक एसोसिएशन, टीचर्स सेल्फ केयर टीम के अलावा अन्य संगठनों के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने विरोध जताया।