गाजियाबाद। यति नरसिंहानंद द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद डासना देवी मंदिर पर 4 अक्तूबर की रात को हुए हमले को खुफिया विभाग ने मॉब लिचिंग का प्रयास माना है। सूत्र बताते हैं कि जांच में सामने आया है कि हमलावरों की भीड़ काफी उग्र थी और कुछ लोगों के हाथों में डंडे भी थे।
माना जा रहा है कि खुफिया विभाग के इनपुट के बाद अगर पुलिस तत्परता दिखाते हुए उग्र भीड़ को न खदेड़ती तो मंदिर में मॉब लिचिंग की बड़ी वारदात हो सकती थी। जांच में सामने आया है कि इस घटना को बड़े ही सुनियोजित तरीके से अंजाम देने की प्लानिंग की गई थी। जांच में यह बात उजागर होने के बाद स्थानीय पुलिस के साथ साथ अन्य एजेंसियां भी साजिशकर्ताओं का पता लगाने में जुट गई हैं।
डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद द्वारा समुदाय विशेष के पैगंबर के खिलाफ दिया गया आपत्तिजनक बयान 3 अक्तूबर को वीडियो के जरिए सोशल मीडिया में वायरल हुआ। जिसके बाद से समुदाय विशेष के लोगों ने यति नरसिंहानंद पर कड़ी कार्रवाई की मांग शुरू कर दी। लेकिन 4 अक्तूबर को यति नरसिंहानंद के शिष्य एवं खुद को छोटा नरसिंहानंद बताने वाले अनिल यादव का जो वीडियो बयान सामने आया, उससे समुदाय विशेष के लोग आक्रोशित हो उठे और वह डासना देवी मंदिर पर हमला बोलने के लिए चल दिए। पुलिस ने रोका तो भीड़ ने पथराव कर दिया। साथ ही धार्मिक उन्माद फैलाने वाले नारे लगाए। पुलिस ने समय रहते सैकड़ों हमलावरों को खदेड़ दिया। इस संबंध में वेव सिटी पुलिस ने डेढ़ सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। जिनमें से 15 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज चुकी है।
थाने में पीस कमेटी की बैठक कर रहे थे बुजुर्ग और युवा मंदिर पर हमला
सूत्र बताते हैं कि उक्त घटनाक्रम को शुरुआत में यति और अनिल यादव के बयान पर गुस्साए लोगों की प्रतिक्रिया के रूप में देखा गया। लेकिन खुफिया विभाग की जांच में यह हमला कोई मामूली घटना नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश के रूप में सामने आई है। पता चला है कि पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए साजिशकर्ताओं ने बुजुर्गों को पीस कमेटी की बैठक में शामिल होने के लिए वेवसिटी थाने भेजा गया। उधर, युवाओं को भडक़ा कर मंदिर की तरफ कूच कर दिया गया। बताया जा रहा है कि साजिशकर्ताओं की योजना डासना देवी मंदिर पर हमला कराके मॉब लिंचिंग करने की थी। जिसे समय रहते मिले इनपुट के बाद पुलिस ने नाकाम कर दिया।