मेरठ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपी रोडवेज) ने मेरठ सहित 15 डिपो को निजी हाथों के हवाले कर दिया है। निगम के निर्णय से रोडवेज के तकनीकी कर्मचारियों में हड़कंप है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इन डिपो में तैनात तकनीकी कर्मचारियों को घबराने की जरुरत नहीं है उन्हें अन्यत्र डिपो में एडजस्ट किया जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले नोएडा डिपो को निजी एजेंसी के हाथ सौंपा गया था। कहा जा रहा है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आने वाले समय में समूचे उत्तर प्रदेश की बसों के रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को सौंपी जा सकती है। मेरठ भैसाली डिपो के आरएम संदीप कुमार नायर ने कहा कि अभी इसके बारे में कोई पालिसी नहीं है। अभी की पालिसी केवल इतनी थी कि हर रीजन में एक डिपो हमें आउटसोर्स करने हैं। जिससे कि रीजन के अन्य डिपो और इन डिपो की तुलना की जा सके की क्या बेहतर है।
रोडवेज में 50 फीसदी तकनीकी कर्मचारियों की कमी के चलते मरम्मत का काम प्रभावित हो रहा था, जिसके चलते इन्हें निजी हाथों में दिए जाने का फैसला किया गया। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कुल 15 डिपो को निजी हाथों में दिया गया है। नोएडा डिपो पहले से निजी हाथों में दिया जा चुका है। इस तरह अभी तक कुल 16 डिपो की बसों का रखरखाव निजी हाथों को सौंपा जा चुका है। प्रबन्ध निदेशक के अनुसार हर रीजन में एक-एक डिपो को दिया गया है।
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उन्होंने बताया कि दरअसल, यूपी रोडवेज में 50 फीसदी कर्मचारियों की कमी है। हमने 20 में से एक को यानी पांच फीसदी को किया है। आउटसोर्स कर्मचारियों से काम तो हम वैसे ही चला रहे हैं। तो इसमें कोई इश्यू नहीं है। बता दें कि रोडवेज कार्यशालाओं की दक्षता बढ़ाने के मंतव्य से 19 डिपो के वर्कशॉप को आउटसोर्सिंग के जरिए टेंडर किया गया था। निविदा प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद 15 डिपो में निजी कंपनियों को काम सौंप दिया गया है।