Sunday, November 24, 2024

किसान पराली न जलाएं पराली जलाई तो लगेगा जुर्माना-प्रमोद कुमार

शामली। उप कृषि निदेशक शामली प्रमोद कुमार द्वारा कृषक बन्धुओं को सूचित किया जाता है, कि पराली या अन्य फसल अवशेष को जलाने से मृदा की उर्वता क्षमता नष्ट होती है उससे नाइट्रोजन, फारफोरस, पोटेशियम एवं अन्रू सूक्ष्म पौषक तत्वों की कमी हो जाती है। मृदा में हयूनस सैकडों वर्षों में तैयार होता है। हयूमस में पौधों की वृद्धि हेतु लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु यथा बैक्टीरिया कवक आदि नमी और कई अन्य जैविक तत्व होते है। पराली के जलने से मृदा ड्यूमस को भारी मात्रा में क्षति पहुंचती है, जिसका कृत्रिम रूप से भर पाई कर पाना लगभग ना मुमकिन हैं। पराली जलने से धुएँ वो कारण स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ भी उत्पन्न होती है, अस्थमा जैसी सांस से सम्बन्धित बीमारियों के मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पडता है साथ ही इन रोगों के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
फसल अवशेष जलने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मानो आक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड गैस उत्सर्जित होते हैं इनमें से नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं सल्फर डाई ऑक्साइड के कारण आँखों में जलन होती है। चर्म रोग एव कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों में वृद्धि हो रही है। बच्चों में वृद्धि एवं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। फसल अवशेष जलाने से निकला हुआ धुआं वायु प्रदूषण को बढाता है पराली जलाने से मिट्टी के तापमान में अचानक वृद्धि होती है, जिसके कारण मिट्टी की सघनता बढ जाती है।
फसलस्वरूप इसके वास्तविक भौतिक गुणों जैसे जल धारण क्षमता वायु संचरण आदि प्रभावित होते हैं, साथ ही मिट्टी में प्राकृतिक रूप में मौजूद कैंचुआ सूक्ष्म जीवाणु लाभदायक कीट आदि नष्ट हो जाते है। पराली प्रबन्धन के लिये 20 किग्रा० यूरिया प्रति एकड की दर से मिट्टी पलटने वाले हल अथवा रोटावेटर से जुताई/पलेवा के समय मिला देने से पादप अवशेष लगभग 20 से 30 दिन के भीतर जमीन में सड जाते हैं, जिससे मृदा में कार्बनिक पद्वार्थ एवं अन्य तत्वों की बढोत्तरी होती है। इसके साथ ही कृषि विभाग द्वारा फार्म मशीनरी बैंक योजनान्तर्गत भी जनपद में पराली प्रबन्धन के कृषि यन्त्र जैसे बेलर, रोटावेटर, मल्चर, एम.बी.प्लाऊ इत्यादि भी फार्म मशीनरी बैंक कृषकों एवं ग्राम पंचायतों को दिये गये है। जिनको बाजार से कम दर पर किराये पर लेकर पराली जलाने पर दो एकड भूमि तक 5000रू जुर्मना, दो एकड से पाँच एकड तक 10000 रू जुर्माना पाँच एकड से अधिक भूमि तक 30000रू जुर्माना तक तहसील कि द्वारा लगाया जा सकता है।
इसके साथ ही यदि कोई कंबाईन मशीन बिना स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के चलती है, तो उसे सीज किये जाने का प्रावधान है। किसान भाई अपने अपने खेत की पराली को निराश्रित गौवंश आश्रय स्थल में भेज कर खाद भी प्राप्त कर सकते हैं। जनपद शामली के समस्त कृषकों बन्धुओं को अवगत कराया जाता है, कि जनपद के प्रत्येक विकास खण्ड पर डि-कम्पोजर निःशुल्क उपलब्ध है, कृषक बन्धु फसल अवशेष को अपने खेत में गलाने/सडाने के लिए डि-कम्पोजर प्राप्त कर सकते है। अतः प्रदेश के कृषकों से अनुरोध है कि किसी फसल के अवशेष को जलाये नहीं।
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