Saturday, November 30, 2024

राष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस (30 नवंबर)….डिजिटल ठगी से कंप्यूटर की सुरक्षा बनी चुनौती

‘राष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस’ सालाना 30 नवंबर को पूरे भारत में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत साल-1988 से हुई थी। आज इस दिवस का ये 36 वां संस्करण है। आज विभिन्न कार्यक्रमों में साइबर एक्सपर्ट बताएंगे कि कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता कैसे अपने कंप्यूटर, डाटा, डिवाइस आदि की रक्षा करें।

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देश का प्रत्येक व्यक्ति कंप्यूटर के खतरों से सुरक्षित हों, उपयोग सुगमता से कर सकें, जैसी जरूरी बातों के प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाता है। चाहे गांव हों या छोटा कस्बा, या महानगर अब प्रत्येक जगहों पर पुलिस थानों में दर्ज होने वाला 5वां केस डिजिटल धोखाधड़ी से जुड़ा होता है। एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक कंप्यूटर डाटा चोरी करके ठगों ने पिछले साल करीब 1200 सौ करोड़ रूपए चुराए, जिसमें साइबर पुलिस ने 3 लाख से अधिक केस फाइल किए।

 

सुखद खबर ये है, ठगों द्वारा ठगी की रकम से पुलिस ने करीब 400 करोड़ रूपयों की रिकवरी भी करी है। ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए ही ‘राष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। ताकि लोग किसी तरह से जागरूक हो सकें।
बढ़ती डिजीटल ठगी को देखते हुए ही वर्ष-2000 में केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए पूरे देश में ‘साइबर थानें’ स्थापित करने का निर्णय लिया था।

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वर्ष 2001 में, भारत का पहला ‘साइबर अपराध पुलिस स्टेशन’ में बेंगलुरु में बना। बेंगलुरू में थाना बनाने का चुनाव इसलिए किया गया, क्योंकि बेंगलुरू को आईटी हब जो कहा जाता है, जहां तकनीकों के जरिए चोरी हुए डाटे को आसानी से साइबर एक्सपर्ट पुलिस के सहयोग से एकत्र कर सकते हैं। पुलिस विभाग में अब साइबर अपराधों से जुड़े मामलों की जांच टीमें अलग से होती हैं, जिनमें जांचकर्ता कंप्यूटर विज्ञान, कानून और जांच तकनीकों का इस्तेमाल करके साक्ष्य इकटठा कर संदिग्धों की पहचान की जाती है।

 

मौजूदा समय में करीब 411 साइबर थाने पूरे भारत में बन चुके हैं। डिजिटल ठगी में साइबर ठग सिर्फ तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। घरों में बैठकर लोगों के कंप्यूटरों से डाटा उड़ाकर उसका बेजा इस्तेमाल करते हैं। हालांकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों व साइबर नियतंत्र तंत्र की सख्त निगरानी से काफी हद तक सफलताएं मिली भी हैं। पर, उतनी नहीं, जितनी मिलनी चाहिए? प्रयास और तेज करने होंगे। प्रयासों के साथ-साथ लोगों को जागरूक करना अति आवश्यक है।

साइबर क्राइम से निपटने के लिए, भारत सरकार ने हाल ही में कई बेहतरीन कदम भी उठाए हैं। जैसे, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र बनाना, 7 संयुक्त साइबर समन्वय टीमों का गठन करना, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशालाएं बनाना, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग का पोर्टल लॉन्च करना, सिटीजऩ फाइनेंशियल साइबर फ्रा़ॅड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम को स्थापित करना, साथ ही साइबर अपराध पर जागरूकता फैलाने के लिए मोबाइल एसएमएस के माध्यम से संदेशों का प्रसार-प्रसार करना, सोशल मीडिया अकाउंट यानी और राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से कंप्यूटर सुरक्षा जागरूकता सप्ताह को नियमित रूप से मनाना और किशोरों-छात्रों के लिए हैंडबुक का प्रकाशन आदि करना।

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स्कूली शिक्षा से लेकर उच्चस्तर की शिक्षा में कंप्यूटर का ही इस्तेमाल होता है, वह कंप्यूटर भी सुरक्षित हों, इसलिए आज विभिन्न स्कूलों में भी कंप्यूटर की सुरक्षा को लेकर छात्रों को जागरूक किया जाएगा।

कंप्यूटर की सुरक्षा किस तरह की जाए, इस थ्योरी को भी हमें कायदे से समझना होगा? दरअसल, कंप्यूटर की सुरक्षा का मतलब होता कंप्यूटिंग प्रणालियों को जोखिमों और खतरों से बचाना तथा सूचना संसाधनों की अखंडता, उपलब्धता और गोपनीयता सुनिश्चित करना होता है। अपने निजी कंप्यूटर को कभी भी किसी अपरिचित को इस्तेमाल करने के लिए नहीं देना चाहिए, कंप्यूटर में एकत्रित सामग्री की सूचना एकदम गुप्त रहे, पासवर्ड किसी से शेयर नहीं करना चाहिए। कंप्यूटर को समय-समय पर अपडेट करते रहना चाहिए और पासवर्ड को चेंज करना चाहिए।

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बीते एक दशक से समूचा देश डिजीटल धोखाधड़ी से खासा आहत है। मूसलाधार बारिश की भांति तेज गति से बढ़ते साइबर हमलों के खतरों को देखते हुए ‘एसोसिएशन फॉर कंप्यूटर मशीनरी’ का एक अध्याय सालाना 30 नवंबर को सार्वजनिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के मकसद से ‘राष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस’ के रूप में मनाता है।

कंप्यूटर सुरक्षा दिवस सभी देशवासियों को उनकी व्यक्तिगत जानकारियों की सुरक्षा करने को लेकर प्रोत्साहित करता है। वैसे, विश्व कंप्यूटर सुरक्षा दिवस, 2 दिसंबर को मनाया जाता है। सुरक्षा नियंत्रण किसी भी प्रकार के सुरक्षा या प्रतिवाद को संदर्भित करता है जिसका उपयोग भौतिक संपत्ति, सूचना, कंप्यूटर सिस्टम या अन्य परिसंपत्तियों के लिए सुरक्षा जोखिमों से बचने, पता लगाने, प्रतिकार करने या कम करने के लिए किया जाता है।

साइबर हमलों की बढ़ती दर को देखते हुए, डेटा सुरक्षा नियंत्रण आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। खतरों पर सतर्कता अपनाना सभी के लिए जरूरी होता है।
-डॉ0 रमेश ठाकुर

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