आज संसार में सबसे बड़ी समस्या नैतिक मूल्यों के ह्रास हो जाने की है। इसी कारण चहुंओर अशान्ति और असंतोष अपना पैर पसारे बैठे हैं। इस अशांत संसार में भी जहां कहीं नैतिकता शाश्वत सिद्धांतों और आदर्शों की बात होगी। साथ ही उनका अनुसरण भी किया जायेगा, वहां प्रभु की कृपा से सुख शान्ति समृद्धि अवश्य मिलेगी।
परमात्मा भी मानव से यही अपेक्षा करता है कि मानव मानव के साथ मानवता का व्यवहार करें। मानव हृदय प्रेम के लिए है कटुता और घृणा के लिए नहीं। मानव केवल सांसारिकता और भौतिकता के वशीभूत होकर अपनों से राग द्वेष का कारण बना लेता है। यदि वह इन सबसे ऊपर उठकर केवल मूल्यों के प्रति समर्पित होकर लोक व्यवहार करे तो कटुता का कोई कारण ही न बने।
अत: हमें वही अपनाना है जो शाश्वत है और वह है प्रेम और भाईचारा। सम्बन्धों की गइराई का आधार ही है प्रेम और भाईचारा। प्रेम एक ऐसा माध्यम है, जो आत्मीयता, भाईचारा और विश्वास को पोषित करता है। आज आवश्यकता है हमें नैतिक मूल्यों को जीवन में आत्मसात करने की, तभी हमारा सामाजिक ढांचा स्वस्थ सुन्दर और सुरक्षित रह सकेगा।