कोलकाता। प्रसिद्ध निर्देशक आर बाल्की ने फिल्म इंडस्ट्री की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अधिकतर फिल्म निर्माताओं के मन में यह भावना गहराई से बैठी हुई है कि यह उद्योग “संकट” में है। कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 30वें संस्करण में आयोजित ‘सत्यजीत रे मेमोरियल लेक्चर’ में बाल्की ने कहा कि कुछ अपवादों को छोड़कर, थिएटरों में दर्शकों की संख्या कम होती जा रही है।
उन्होंने कहा, “अधिकतर फिल्म निर्माताओं के मन में यह भावना है कि फिल्म इंडस्ट्री खतरे में है। हर चीज़ प्रभावित हो चुकी है, और थिएटरों में दर्शकों की संख्या घट रही है। केवल चार से पांच फिल्में ही मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन इससे उद्योग की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है।”
फिल्मों जैसे चीनी कम, पा और पैडमैन के निर्माता बाल्की ने कहा कि “सिनेमा के बिना मेरी जिंदगी का कोई मकसद नहीं है। लेकिन जब खुद सिनेमा संघर्ष कर रहा हो, तो इसे जारी रखना मुश्किल हो जाता है।”
उन्होंने 70 के दशक की फिल्मों जैसे शोले और 20 साल पहले बनी कुछ कुछ होता है का जिक्र करते हुए कहा कि अब ऐसी मनोरंजक फिल्में नहीं बनतीं। हालिया समय में बाहुबली को उन्होंने आखिरी ब्लॉकबस्टर बताया।
बाल्की ने कहा, “कई फिल्में बेहतरीन हैं लेकिन उन्हें देखा नहीं जा रहा। वहीं बहुत सारी बेकार फिल्में देखी जा रही हैं।” उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि कहानी कहने और उसे पर्दे पर उतारने में ईमानदारी होनी चाहिए, न कि केवल प्रचार पर अधिक खर्च करके दर्शकों को आकर्षित करने का प्रयास।
उन्होंने कहा कि तमिल फिल्म इंडस्ट्री में फिल्मों के निर्माण बजट पर सीमा तय करने का एक नियम लागू है, जो अन्य इंडस्ट्री को भी अपनाना चाहिए।
बाल्की ने यह भी कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म और रील्स पर सामग्री की अधिकता हो गई है, जहां गुणवत्ता के मुकाबले मात्रा को प्राथमिकता दी जा रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में बात करते हुए उन्होंने भविष्यवाणी की कि आने वाले चार से पांच वर्षों में एआई हर क्षेत्र में प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने कहा, “भविष्य में हमें सिनेमा को ‘मैनमेड’ और ‘मशीनमेड’ में विभाजित करना पड़ेगा।”