नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को लोकसभा में अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने संविधान की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, “संविधान ‘संघ का विधान’ नहीं है,” और सरकार पर संविधान के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया।
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प्रियंका ने कहा कि सरकार भय का माहौल बनाकर संविधान की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। उन्होंने दावा किया कि यदि पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे अलग होते, तो यह सरकार संविधान को बदलने का प्रयास करती।
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उन्होंने संविधान को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक न्याय का वादा बताते हुए कहा, “यह एक सुरक्षा कवच है, जिसे तोड़ने का काम शुरू हो चुका है।“ प्रियंका ने देशवासियों को आश्वासन देते हुए कहा कि भारत कभी भी “कायरों के हाथ” में नहीं रहा है और यह देश उठेगा और लड़ेगा।
प्रियंका ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे शायद यह नहीं समझ पाए हैं कि संविधान का अर्थ केवल कानून का नियम नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा है। उन्होंने सरकार को संविधान के आदर्शों से भटकने का आरोप लगाया।
अपने भाषण में उन्होंने संविधान में दिए गए सामाजिक और आर्थिक न्याय के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि इन्हें लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन मौजूदा सरकार इन मूल्यों को कमजोर कर रही है।
प्रियंका गांधी का यह भाषण संविधान की 75 वर्षों की यात्रा पर चर्चा के दौरान न केवल उनका विचार प्रस्तुत करता है, बल्कि सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाता है।