नयी दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।
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राज्यसभा का 266वां सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था। सदन के इस सत्र में 19 बैठकें हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के हंगामे के बीच धनखड़ ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले कहा कि भारत के लोकतंत्र पर दुनिया भर की निगाहें लगी हुई हैं। यह उच्च सदन है और इसका विशेष उत्तरदायित्व है।
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उन्होंने कहा कि इस सत्र में सदन में मात्र 40.03 प्रतिशत उत्पादकता रही और मात्र 43 घंटे 27 मिनट सदन की कार्यवाही चली। इसी सत्र में तेल क्षेत्र संशोधन विधेयक और बॉयलर्स विधेयक 2024 पारित किया और भारत-चीन संबंधों पर विदेशमंत्री एस जयशंकर ने वक्तव्य दिया।
राज्यसभा के इस सत्र में आरंभ से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बना रहा। हालांकि इस दौरान ‘भारतीय संविधान के 75 वर्ष की गौरवपूर्ण यात्रा’ पर चर्चा हुई। इसी सत्र में संविधान अंगीकार करने के 75 वर्ष पूरे होने पर दोनों सदनों की एक विशेष बैठक भी संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में संपन्न हुई, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संबोधित किया।
धनखड़ ने कहा कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस सत्र का समापन करते हुए गंभीर चिंतन का समय है। ऐतिहासिक संविधान सदन में संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि करना था।
उन्होंने कहा, “ यह कठिन वास्तविकता परेशान करने वाली है। सांसदों के रूप में, हम भारत के लोगों से कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं और यह सही भी है। ये लगातार व्यवधान हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता के विश्वास को लगातार कम कर रहे हैं।”
सभापति ने कहा कि संसदीय विचार-विमर्श से पहले मीडिया के माध्यम से नोटिसों को प्रचारित करने और नियम 267 का सहारा लेने की बढ़ती प्रवृत्ति संस्थागत गरिमा को और कम करती है। हम एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़े हैं, भारत के 1.4 अरब नागरिक हमसे बेहतर की उम्मीद करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह सार्थक बहस और विनाशकारी व्यवधान के बीच चयन करने का समय है। हमारी लोकतांत्रिक विरासत की मांग है कि हम राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठें और संसदीय विमर्श की पवित्रता को बहाल करें।
सदन की कार्यवाही 11 बजे के पहले स्थगन के बाद 12 बजे फिर शुरू हुई और वंदे मातरम के गायन के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।