खतौली। गुजऱे ज़माने के शायर रियासत हुसैन रिज़वी उर्फ शौक बहराइची का शेर, बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है, हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा। आज भी गलत कार्यों में लिप्त में रहने वालों पर कटाक्ष करने के लिए प्रासंगिक है।
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कस्बे के चर्चित शत्रु सम्पत्ति प्रकरण में ज़्यादा मलाई डकारने वाले बड़े मगरमच्छों ने नगर पालिका परिषद के एक क्लर्क को बलि का बकरा बनाकर अपनी जान बचा ली है। जानकारी के अनुसार देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान चली गई एक महिला मरियम की गंगनहर पटरी के निकट बालाजीपुरम कॉलोनी स्थित बेशकीमती करोड़ों की ज़मीन पर गिद्ध दृष्टि गड़ाए बैठे कुछ भूमाफियाओं ने इसे हड़पने का फुल प्रूफ मंसूबा बनाकर हड़प भी ली थी।
समाचार पत्रों में मामला उछलने के बाद हरकत में आए प्रशासनिक अधिकारियों ने भू माफियाओं के मंसूबों को ध्वस्त करके उपरोक्त ज़मीन को खतौनी में दर्ज कराकर इसके शत्रु सम्पत्ति होने पर पुख्ता सरकारी मोहर लगा दी है। बताया गया कि महिला मरियम की ज़मीन हड़पने के लिए भूमाफियाओं ने पहले नगर पालिका परिषद खतौली से इसका फर्जी मृत्य प्रमाण पत्र जारी कराया।
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फर्जी मृत्य प्रमाण पत्र के आधार पर ही तहसील खतौली से जारी फर्जी वारिस प्रमाण पत्र तैयार किया। फर्जी वारिस प्रमाण पत्र के आधार पर ही महिला मरियम की ज़मीन को भूमाफियाओं ने एक अन्य भूमाफिया को 52 लाख रुपए में बेंच दिया था। बताया गया कि इस भूमाफिया ने इस ज़मीन को आगे मुजफ्फरनगर निवासी एक अन्य भूमाफिया को 72 लाख रुपए में बेच दिया था। मुजफ्फरनगर निवासी भू माफिया द्वारा शत्रु सम्पत्ति पर प्लॉटिंग की शुरुआत करते ही समाचार पत्रों में ऐसा रायता बिखरना शुरू हुआ जिसका अंत इस ज़मीन के फर्जी बैनामों के कैंसिल होने के बाद इसके खतौनी में दर्ज होने के बाद ही हुआ है।
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खास बात यह है कि इस प्रकरण में फर्जी मृत्य प्रमाण पत्र बनाए जाने के एक किरदार नगर पालिका परिषद के क्लर्क चंकी भारद्वाज को जांचोपरांत सस्पेंड कर दिया गया है। जबकि इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अन्य किरदारों ने अपना दामन पाक साफ बचा लिया है। तहसील प्रशासन ने भी अपना दामन जांच के बाद वारिस प्रमाण पत्र के फर्जी होने का हवाला देकर पाक साफ बचा लिया है।
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जबकि चर्चा है कि पूर्व में खतौली तहसील में तैनात रहे एक चर्चित की इस प्रकरण में फर्जी कागज़ों को तैयार कराने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कुल मिलाकर कस्बे के शत्रु सम्पत्ति प्रकरण में दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली है, वाली कहावत भी चरितार्थ हुई है।