आज प्रात: स्मरणीय श्रीराम के अवतरण का पवित्र दिन है। श्रीराम सदा से ही स्मरणीय रहे हैं। स्मरण का तात्पर्य केवल उनका नाम लेना जय श्रीराम-जय श्रीराम कहना नहीं हो सकता। यह भी नहीं हो सकता कि हम नाम श्रीराम का लेते रहे और आचरण उनके विपरीत करते रहे।
राम-राम करते जाओ और छलकपट तथा विविध तृष्णाओं को मन में पालते जाओ। रामजी की उत्तम सेवा और भक्ति यही है कि आप उनके जैसा मर्यादापूर्ण जीवन व्यतीत करे, उनके चरित्र का अनुसरण करे, उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारे।
उनके जैसी मर्यादा, उनके जैसी पितृ भक्ति, उनके जैसा मातृ प्रेम, उनके जैसी वचनवद्धता, धैर्य, वीरता, क्षमा शीलता, सरलता, विनम्रता, सत्यनिष्ठा, सदाचार तथा उनके जैसा प्रजा प्रेम ढूंढे नहीं मिलता।
सभी दिव्य गुण उनमें एक ही स्थान पर स्थित थे। वह एक आदर्श प्रजा पालक थे। उनका नाम लेना तभी सार्थक होगा कि उनके दिव्य गुणों में से कुछ गुण तो हम धारण करें। उन्होंने ऋषियों के यज्ञ में विघ्र डालने वाली आसुरी शक्तियों का अन्त किया। दुख इस बात का है कि पुन: आसुरी शक्ति प्रबल हो गई है।
हे राम इन आधुनिक आसुरी शक्तियों का विनाश करने इस धरा पर पुन: अवतार लो और पीडि़त, शोषित प्रजा को इन राक्षसों से मुक्ति दिलाओ। इसी कामना के साथ आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामाएं !