जैसे नाटक का कलाकार बाहर से रोने का नाटक करता है, परन्तु अन्दर से दुखी नहीं होता। क्रोध का नाटक करता है, किन्तु भीतर से सामानय रहता है। उसके भीतर कितना भी दर्द छुपा हो, परन्तु बाहर से हंसने का नाटक करता है।
आप भी कलाकार की भांति क्रोध का नाटक कर लेना, परन्तु क्रोध नहीं करना, सम्बन्धों में ममता रखना। आप घर में सबसे बड़े हैं तो आपका कर्तव्य है बच्चों को प्यार देना, घर-गृहस्थी को चलाना परन्तु समायानुसार इनको छोछ़ भी देना।
स्वयं को मोह से ऊपर उठाकर अपने सांसारिक कर्तव्यों और दायित्वों को पूरा करते हुए समयानुसार आसक्ति को पूर्ण रूप से तिलाजंलि दे देना। वानप्रस्थ ले लेना।