Sunday, January 19, 2025

मन की बात : पीएम मोदी बोले इस बार का गणतंत्र दिवस खास

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 118वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। ‘मन की बात’ कार्यक्रम का प्रसारण महीने की आखिरी रविवार को होता है, लेकिन इस बार ये एक सप्ताह पहले तीसरे रविवार को प्रसारण हुआ। पीएम मोदी ने इसका कारण चौथे रविवार को गणतंत्र दिवस का होना बताया। ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए कहा, “इस बार का ‘गणतंत्र दिवस’ बहुत विशेष है।

 

 

ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ है। इस साल संविधान लागू होने के 75 साल हो रहे हैं। मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूं, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया। संविधान सभा के दौरान अनेक विषयों पर लंबी-लंबी चर्चाएं हुईं। वो चर्चाएं संविधान सभा के सदस्यों के विचार और उनकी वो वाणी, हमारी बहुत बड़ी धरोहर है। आज ‘मन की बात’ में मेरा प्रयास है कि आपको कुछ महान नेताओं की वास्तविक आवाज सुनाऊं।” पीएम मोदी ने बाबा साहब अंबेडकर का एक ऑडियो सुनाया। बोले “जब संविधान सभा ने अपना काम शुरू किया, तो बाबा साहब आंबेडकर ने परस्पर सहयोग को लेकर एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही थी।

 

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” बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था, “जहां तक ​​अंतिम लक्ष्य का सवाल है, मुझे लगता है कि हममें से किसी को भी किसी तरह की आशंका नहीं होनी चाहिए। हममें से किसी को भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए, लेकिन मेरा डर जो मैं स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहता हूं, वह यह है कि हमारी कठिनाई अंतिम भविष्य के बारे में नहीं है। हमारी कठिनाई यह है कि आज हमारे पास जो विविधतापूर्ण जनसमूह है, उसे कैसे एक साथ निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाए और उस मार्ग पर सहयोगात्मक तरीके से आगे बढ़ाया जाए जो हमें एकता की ओर ले जाएगा। हमारी कठिनाई अंतिम के संबंध में नहीं है; हमारी कठिनाई शुरुआत के संबंध में है।”

 

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पीएम मोदी ने संविधान सभा के प्रमुख डॉ. राजेंद्र प्रसाद का ऑडियो सुनाया, जिसमें राजेंद्र प्रसाद कहते सुने जा सकते हैं कि “हमारा इतिहास बताता है और हमारी संस्कृति सिखाती है कि हम शांति प्रिय हैं और रहे हैं। हमारा साम्राज्य और हमारी फतह दूसरी तरह की रही है, हमने दूसरों को जंजीरों से, चाहे वो लोहे की हो या सोने की, कभी नहीं बांधने की कोशिश की है। हमने दूसरों को अपने साथ, लोहे की जंजीर से भी ज्यादा मजबूत मगर सुंदर और सुखद रेशम के धागे से बांध रखा है और वो बंधन धर्म का है, संस्कृति का है, ज्ञान का है।

 

 

 

 

हम अब भी उसी रास्ते पर चलते रहेंगे और हमारी एक ही इच्छा और अभिलाषा है, वो अभिलाषा ये है कि हम संसार में सुख और शांति कायम करने में मदद पहुंचा सकें और संसार के हाथों में सत्य और अहिंसा वो अचूक हथियार दे सकें जिसने हमें आज आजादी तक पहुंचाया है। हमारी जिंदगी और संस्कृति में कुछ ऐसा है जिसने हमें समय के थपेड़ों के बावजूद जिंदा रहने की शक्ति दी है। अगर हम अपने आदर्शों को सामने रखे रहेंगे तो हम संसार की बड़ी सेवा कर पाएंगे।” पीएम मोदी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ऑडियो सुनाते हुए कहा कि उन्होंने समानता का विषय उठाया था।

 

 

 

 

ऑडियो में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि “मैं आशा करता हूं कि हम सभी कठिनाइयों के बावजूद अपने काम को आगे बढ़ाएंगे और इस तरह उस महान भारत का निर्माण करने में मदद करेंगे जो न तो इस समुदाय की मातृभूमि होगी और न ही इस वर्ग की, बल्कि इस महान भूमि पर रहने वाले हर व्यक्ति, पुरुष, महिला और बच्चे की मातृभूमि होगी, चाहे उनकी नस्ल, जाति, पंथ या समुदाय कुछ भी हो। हर किसी को समान अवसर मिलेगा, ताकि वह अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा के अनुसार खुद को विकसित कर सके और भारत की महान साझा मातृभूमि की सेवा कर सके।”

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