मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर का निर्माण कार्य पिछले कुछ समय से भूमि अधिग्रहण की समस्या के कारण बाधित हो रहा था। यह परियोजना उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम है, जिसका उद्देश्य यात्रा के समय को कम करना और आवागमन को तेज और सुविधाजनक बनाना है। अब इस अटके हुए काम को गति देने के लिए जिला प्रशासन को नए निर्देश दिए गए हैं।
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रैपिड रेल परियोजना के तहत मेरठ में कुछ क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण में स्थानीय निवासियों की आपत्तियों और मुआवजे से संबंधित विवादों के कारण निर्माण कार्य रुका हुआ था। किसानों और भूमि मालिकों ने उचित मुआवजे और पुनर्वास की मांग की थी। इन समस्याओं ने परियोजना के समय-सीमा को प्रभावित किया और निर्माण कार्य धीमा कर दिया।
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जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज़ी से निपटाएं। मेरठ के डीएम को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सभी प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और सुविधाएं दी जाएं। साथ ही, विवादों को सुलझाने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है, जो प्रभावित पक्षों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करेगी।
दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा के समय को लगभग 60 मिनट तक कम करना है। यह कॉरिडोर न केवल यातायात के दबाव को कम करेगा, बल्कि पर्यावरणीय प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में सहायक होगा। रैपिड रेल एक हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट प्रणाली है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है।
परियोजना से प्रभावित स्थानीय निवासियों की राय अब सकारात्मक होती दिख रही है। प्रशासन द्वारा मुआवजे और पुनर्वास की प्रक्रिया में तेजी लाने के आश्वासन के बाद लोगों ने सहयोग का वादा किया है। कई निवासियों का मानना है कि यह परियोजना क्षेत्र के विकास को गति देगी और स्थानीय रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी।
रैपिड रेल परियोजना से न केवल यात्रा सुगम होगी,बल्कि यह मेरठ और आस-पास के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी। तेज़ आवागमन के कारण क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी और क्षेत्र का शहरीकरण तेज़ी से होगा।