प्रयागराज। यूरोप में रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बावजूद भारत के महाकुंभ में इन देशों के नागरिकों ने मिलकर शांति का संदेश दिया है। जहां दोनों देश बम और गोलीबारी के जरिए एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, वहीं महाकुंभ में रूस और यूक्रेन के भक्त सौहार्द और शांति की प्रार्थना कर रहे हैं।
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महाकुंभ के शिविरों में रूस की रहने वाली त्रिलोक्य गिरी और यूक्रेन की महंत उत्तमिका एक साथ रह रही हैं। दोनों ने सनातन धर्म को अपनाया है और इसके माध्यम से शांति और सद्भाव का संदेश फैला रही हैं। त्रिलोक्य गिरी ने कहा, “सनातन धर्म ने हमें सिखाया है कि सभी जीव एक समान हैं। शत्रुता और द्वेष के लिए यहां कोई स्थान नहीं है।”
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रूस और यूक्रेन के ये नागरिक महाकुंभ में शांति और युद्ध समाप्ति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। महंत उत्तमिका ने कहा, “हम चाहते हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच का युद्ध समाप्त हो और दोनों देशों में सद्भावना स्थापित हो। हम यहां सनातन धर्म की सीख के अनुसार प्रेम और सहिष्णुता का संदेश दे रहे हैं।”
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महाकुंभ में त्रिलोक्य गिरी और महंत उत्तमिका की दोस्ती इस बात का प्रतीक है कि धर्म और आध्यात्मिकता के माध्यम से दुनिया में किसी भी प्रकार की दुश्मनी को खत्म किया जा सकता है। दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि मानवता के प्रति प्रेम और करुणा किसी भी संघर्ष का समाधान हो सकती है।
इन भक्तों की उपस्थिति यह दिखाती है कि युद्ध और संघर्ष से परे भी मानवता और प्रेम का अस्तित्व है। महाकुंभ जैसे आयोजन इस बात का उदाहरण हैं कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम कैसे दुनिया को जोड़ सकते हैं और शांति की ओर ले जा सकते हैं।
यह दृश्य न केवल भारत की सहिष्णुता और विविधता को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह भी बताता है कि आध्यात्मिकता के माध्यम से दुनिया में कैसे शांति स्थापित हो सकती है।