नयी दिल्ली – राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के लिए व्यापक स्तर पर सहमति बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि संघीय ढांचे को कमजाेर नहीं किया जाना चाहिए।
श्री खड़गे ने मंगलवार को नये संसद भवन में राज्यसभा की पहली बैठक में वक्तव्य देते हुए कहा कि प्रस्तावित महिला आरक्षण कानून में कमजोर वर्ग की महिलाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों में महिलाओं की आवाज को दबाया जाता है। उनके इस वक्तव्य पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका तीखा विरोध किया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि श्री खड़गे को अन्य दलों के बारे में बोलने का अधिकार नहीं है। विपक्ष के नेता महिलाओं में विभेद पैदा कर रहे हैं। वह महिलाओं का अपमान नहीं कर सकते हैं।
इसके बाद सदन में शोर शराबा होने लगा और कांग्रेस के कुछ सदस्य आसन के समक्ष आ गये। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में मर्यादा बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण हैं और पूरे देश की महिलायें भी सदन की कार्यवाही देख रही हैं।
श्री खड़गे ने महिला आरक्षण में अन्य पिछडा वर्ग की महिलाओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं को आरक्षण स्वयं ही मिल जाएगा लेकिन ओबीसी महिलाओं का अधिकार खत्म होने की आशंका है। उन्होेंने कहा कि सरकार को सभी कानूनों का लाभ गरीब वर्गों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी लोग लोकतंत्र के साथ चलना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार अपनी कार्यप्रणाली से संघीय ढ़ांचे काे कमजाेर कर रही है। राज्यों काे वित्तीय संसाधन नहीं दिये जा रहे हैंं और भेदभाव किया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने जीएसटी के हिस्से का उदाहरण दिया। इसका शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान और श्रीमती सीतारमण ने कड़ा विरोध किया और उनके वक्तव्य को खारिज करते हुए कई उदाहरण दिये। इससे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस भी हुई। इस पर श्री धनखड़ ने दोनों पक्षों से अपने अपने वक्तव्य के पक्ष में प्रमाणिक दस्तावेज सदन के पटल पर रखने के निर्देश दिये।
श्री खड़गे ने कहा कि देश के विकास और निर्माण समाज के सभी वर्गों की भागीदारी है और प्रत्येक व्यक्ति इसमें सहभागी बनना चाहता है। सरकार को सभी काे साथ लेकर चलना चाहिए।
सदन में विपक्ष के नेता के वक्तव्य के बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।