Friday, April 18, 2025

हमारे मूल अधिकार और कर्तव्य

हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। संविधान में दी गई व्यवस्थाओं के अनुसार ही हमारी शासन एवं कानून व्यवस्था का संचालन होता है। संविधान ने देश के नागरिकों को निम्नलिखित मूल अधिकार दिए हैं:

  • समता का अधिकार
  • स्वतंत्रता का अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  • सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार
  • कुछ कानूनों के संरक्षण की व्यवस्था
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार

भारतीय संविधान में नागरिकों के मूल कर्तव्यों का कोई उल्लेख नहीं था। जनवरी 1977 में मूल कर्तव्यों के संदर्भ में एक संहिता को संविधान में शामिल किया गया। इसके अनुसार नागरिकों का मूल कर्तव्य है:

  • संविधान का पालन करना और इसके आदर्शों को संजोए रखना और इन्हें जीवन में अपनाना
  • भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना और इसकी रक्षा करना
  • देश की रक्षा करना और आह्वान किए जाने पर राष्ट्रीय सेवा करना
  • भारत के सभी लोगों के बीच धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या वर्ग के भेदभावों से ऊपर उठकर सद्भाव और आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना, ऐसी प्रथाओं का त्याग करना जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं
  • देश की सांझी संस्कृति का सम्मान और उसका संरक्षण करना
  • प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसमें वन, झील, नदी और वन्यजीव हैं, रक्षा करना और उसका संवर्धन करना तथा प्राणी मात्र के प्रति दया रखना
  • वैज्ञानिक मानसिकता, मानवतावाद तथा जिज्ञासा और सुधार की प्रवृत्ति विकसित करना
  • सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना और हिंसा से दूर रहना
  • सभी व्यक्तिगत तथा सामूहिक कार्यक्षेत्रों में उत्कृष्टता लाने के निरंतर प्रयास करना ताकि राष्ट्र प्रगति और उपलब्धियों के नए-नए शिखर छूता जाए।
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अनिल शर्मा

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