नई दिल्ली। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अपने कार्यकाल के दौरान सरकारी खर्चों में कटौती की दिशा में कई बड़े कदम उठाए थे। अमेरिका की विदेश सहायता एजेंसी यूएसएड (USAID – United States Agency for International Development) भी इस नीति के तहत प्रभावित हुई। ट्रंप प्रशासन की “America First” नीति के तहत उन विदेशी फंडिंग प्रोग्राम्स की समीक्षा की गई, जिनके तहत अमेरिका अन्य देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता था।
USAID एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1961 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य दुनिया भर में मानवीय सहायता और विकास परियोजनाओं को आर्थिक सहयोग देना है। यह एजेंसी निम्नलिखित क्षेत्रों में कार्य करती है:
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गरीबी उन्मूलन,स्वास्थ्य सेवाओं का विकास,आपदा राहत,शिक्षा और महिला सशक्तिकरण,जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय,लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा। डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में सत्ता संभालते ही अंतरराष्ट्रीय विकास सहायता पर खर्च की जाने वाली धनराशि में कटौती करने की मंशा जाहिर की थी। ट्रंप प्रशासन की दलील थी कि अमेरिका को अपनी प्राथमिकताओं पर ध्यान देना चाहिए और करदाताओं के पैसे का सही इस्तेमाल करना चाहिए।
2018 में ट्रंप प्रशासन ने USAID के बजट में भारी कटौती का प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत विकासशील देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को सीमित किया जाना था। हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस ने इन कटौतियों को पूरी तरह से लागू नहीं होने दिया और कई कार्यक्रम जारी रहे।
भारत को भी अतीत में USAID के तहत विभिन्न क्षेत्रों में वित्तीय सहायता मिलती रही है। हालांकि, अब भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, इसलिए अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में भारत को दी जाने वाली सीधी आर्थिक सहायता में कटौती कर दी है। फिर भी, स्वास्थ्य, पर्यावरण और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में USAID की मौजूदगी बनी हुई है।
हालांकि ट्रंप प्रशासन ने USAID की फंडिंग में कटौती करने की कोशिश की, लेकिन इसे पूरी तरह से बंद करने की कोई आधिकारिक योजना नहीं थी। USAID आज भी कई विकासशील देशों में काम कर रहा है और बाइडेन प्रशासन के तहत इसकी फंडिंग फिर से बढ़ाई गई है।