मेरठ। मदरसा इस्लामी अरबी अन्दर कोट, गुज़री बाजार मेरठ में दस्तारबंदी और रस्म बुखारी शरीफ का आयोजित किया गया। कार्यक्रम मदरसा इस्लामी अरबी अन्दर कोट के मैदान में शैक्षिक सम्मेलन व बुखारी शरीफ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आयोजक शेख गुलाम कुतुबुद्दीन साबरी(प्रबन्धक मदरसा) व अध्यक्षता मौ0 शम्स कादरी, प्रधानाचार्य मदरसा ने की। कार्यक्रम की मेजबानी मौलाना मौ0 हमीदुल्लाह खाँ कादरी इब्राहिमी (सज्जादा नशीन खानकाह आलिया कादरिया इब्राहिमीया सरावा शरीफ, हापुड़, गज़ियाबाद) ने की।
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कार्यक्रम में पश्चिम उप्र के सभी जिलों से अल्लामाओं ने भाग लिया। मौ0 रईस अहमद साहब जामई मुरादाबादी ने तिलावत के लिए हाफिज़ व कारी मौलाना मौ0 सददाम हुसैन को आंमत्रित किया। इससे पहले असर की नमाज़ के बाद हज़रत अल्लामा मुफ्ती मौ0 रहमतुल्लाह ने हदीस पढ़वाई। अज़मत हदीस व इमाम बुखारी ने छात्रों को तरक्की करने और मुल्क के विकास में अपना योगदान देने का आहवान किया। नाजिम मौसूफ ने नात और इस्लाम मौलाना मौ0 जमालुर्राफे, मौलाना मौ0 सैफ खालिद और जनाब हाफिज आदि शायरी से समा बांध दिया।
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इसके बाद मुल्क व मिल्लत के मशहूर उलमा ए कराम व खुतबा ए इस्लाम ने तकरीर पेश कीं। मुख्य अतिथि वक्ता ख़तीब-उल-हिंद हज़रत उबैदुल्ला खान कालमी, पूर्व मेम्बर ऑफ पार्लिमेंट दिल्ली ने इस्लामी समाज के महत्वपूर्ण पहलूओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्पष्ट करते हुऐ कहा कि हम उस मज़हब से ताल्लुक रखते है जिसके पैरोकार हज़रत मौहम्मद हैं। आपने अपने आचरण और चरित्र से इसी भूमि पर सर्वोत्तम मानवीय शक्ति की फसल उगाई और कयामत के दिन तक इस्लाम को पूरी दुनिया के लिए विशेष रुप से अन्य धर्मो के लिए एक आदर्श बना दिया। आज के आधुनिक वैज्ञानिक युग में सोशल मीडिया और सूचना प्रोद्योगिकी ने विकास के मार्ग को तो प्रशस्त किया है।
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लेकिन समाज में अनैतिकता, धोखाधड़ी, अमानवीय मामलों और बुरे रीति-रिवाजों के अलवा कई नैतिक अधिकारों को भी रौंद दिया है। इसलिए आज समाज को आइना दिखाने और नौजवानों को भटकाव से रोकने के लिए एक संगठित और गतिशील क्रांति की आवश्यकता है। मुफ्ती आज़म मेरठ, मुफ्ती मौहम्मद इश्तियाक उल कादरी साहब मिस्बाही ने धार्मिक और समकालीन शिक्षा की आवश्यकता और उसकी महत्वता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ज्ञान वह सार है जो राष्ट्रों और राष्ट्रों के विकास को संचालित करता है। इल्म से लापरवाह लोग दुनिया की ठोकरों में रहते हैं।
अंत में हजरत अल्लामा मुफ्ती नूर मौहम्मद साहब ने बाहर से आये हुऐ मेहमानों का शुक्रिया अदा करते हुऐ उम्मते मुसलिमा को यह पैगाम दिया कि मदारिसे इस्लामी तालीमात व दीनी इकदार और रिवायात की नश्र व इशाअत का चश्मा है। अंत में हज़रत मौलाना मुफ्ती वासिफ मर्कज़ी (शिक्षक मदरसा) ने मुल्क व के लिए तरक्की व खुशहाली की दुआ करवाई। कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में उलमा, सूफी संत ने भाग लिया।
इस दौरान मास्टर ताजदार अहमद खान, भय्या मजहरूदीन, भय्या शम्सुद्दीन, भय्या आरिफुद्दीन, हाजी मौ0 इलयास साहब मथुरा, मौ० मतीन खान, अल्हाज मौ0 इनतख़ाब, हाफिज़ आबिद, नदीम हुसैन,महमूद लतीफी आदि मौजूद रहे।