अक्सर जब इन्सान वृद्धावस्था में पहुंचता है तो कई तकलीफें साथ-साथ शुरू हो जाती हैं। कुछ तकलीफों को तो दवा दारू से नियंत्रण में रखा जा सकता है पर कुछ ऐसी तकलीफें होती हैं, जिनको आप सही देखरेख से ही नियंत्रण में रख सकते हैं। रोजमर्रा के जीवन में कुछ उपायों को स्थान देने से कुछ कष्ट कम कर सकते हैं।
लम्बे गहरे सांस लें:- प्रात: काल खुले पार्क में गहरी लम्बी सांसें लेने से स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इस क्रिया से नाक बन्द नहीं होता और श्वास लेने में आसानी बनी रहती है।
सैर करें:- प्रात: सायं जितना आप आसानी से चल सकते हैं, उतना चलें। टहलने से खून का दौरा ठीक बना रहता है और शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है। कोशिश करें कि सैर उस स्थान पर करें जहां जमीन समतल हो। ऊबड़-खाबड़ जगह पर पैर मुडऩे का डर बना रहता है। यदि बाहर जाकर सैर करना सम्भव नहीं है तो घर के आंगन में टहलें। घुटनों में दर्द अधिक हो तो ‘वाकिंग स्टिक’ का सहारा लेते हुए सैर करें।
व्यायाम :- डाक्टरों के परामर्श अनुसार कुछ व्यायाम जितना आपका शरीर आसानी से सहन कर सके, उतना व्यायाम अवश्य करें। जैसे ही व्यायाम में थकान महसूस हो तो थोड़ा विश्राम करें। लम्बे समय तक लम्बे व्यायाम न करें। व्यायाम से अपने शरीर में उठी दर्दों पर नियंत्रण पा सकते हैं।
मालिश:- संभव हो तो शरीर पर सप्ताह में एक या दो बार मालिश अवश्य करवायें। मालिश करवाना संभव न हो तो स्वयं तेल शरीर पर लगाएं। मालिश से शरीर में फुर्ती बनी रहती है।
स्नान:- प्रतिदिन स्नान अवश्य करें। मौसम के अनुसार पानी का प्रयोग करें। मौसम ठंडा होने पर कुनकुने पानी से स्नान करें। गर्मियों में ताजा पानी शरीर के लिए अच्छा रहता है। तेज गर्म पानी से स्नान करना नुक्सानदेह होता है।
पौष्टिक आहार:- वैसे तो हर उम्र में पौष्टिक आहार लेना ही उत्तम माना जाता है पर वृद्धावस्था में तैलीय भोजन व मसालेदार भोजन लेने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इस अवस्था में भोजन मुश्किल से पचता है। भोजन में सख्त कच्ची चीजों को नहीं लेना चाहिए। सलाद भी स्टीम किया हुआ लें या कद्दूकस करके लें जिसे चबाने और पचाने में आसानी रहे।
भोजन में दूध और दूध से बनी वस्तुएं सीमित मात्रा में प्रतिदिन लेते रहें। अंकुरित भोजन को स्टीम करके धीरे-धीरे चबायें। फलों में पपीता लाभप्रद है। पेट साफ रखने में भी सहायक है और इसे आसानी से चबाया जा सकता है। बार बार चाय-काफी का सेवन नहीं करना चाहिए। वृद्धावस्था में शाकाहारी भोजन लेना हितकर है। भोजन से पहले सूप लेना लाभप्रद है। हरी सब्जियों को दिन के भोजन में स्थान दें।
जल पिएं:- दिन में 8-10 गिलास जल अवश्य पिएं। पानी को एकदम निगल कर न लें। धीरे-धीरे पानी के छोटे घूंट लें। चाय, सूप, जूस भी एक बार में न लें, धीरे धीरे पिएं। किसी ने सही कहा है, खाने के पदार्थों को पिएं तथा पीने के पदार्थों को खाएं।
नर्म भोजन लें:- अपने भोजन में खिचड़ी, दलिया अधिक लें। भोजन में नमक और चीनी का प्रयोग कम करें। डाक्टरी जांच समय-समय पर करवाते रहें। मौसमानुसार वस्त्रों को धारण करें। अधिक ठंड में आवश्यकता होने पर बाहर निकलें। अपने शरीर को अच्छी तरह गर्म वस्त्रों से ढक लें। गर्मियों में हल्के वस्त्र और सूती वस्त्र पहनें।
जूतों और चप्पलों पर भी ध्यान दें। जब बाथरूम स्लीपर घिसने शुरू हो जाएं तो उसे समय पर बदल दें। चलते समय फर्श पर पैर टिकाकर चलें, जल्दी-जल्दी कदम न लें। हल्के-फुल्के टी.वी. प्रोग्राम देखें। परिवार के साथ हंसते खेलते रहें। कुछ घरेलू कामों में मदद करते रहें जिससे शरीर की मांसपेशियां शिथिल न पड़ जायें। परिवार में अधिक दखलअंदाजी न करें जिससे स्वयं और परिवार के सदस्यों को तनाव से बचाया जा सकता है।
– नीतू गुप्ता