गाजियाबाद। एक रेस्टोरेंट में जनपद में वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर गाजियाबाद सिविल सोसाइटी के अध्यक्ष कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने एक पत्रकार वार्ता की। जिसमें उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण होने तक जिले में हो रहे निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक लगाने और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का कार्यकाल समाप्त किए जाने की मांग की है।
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उन्होंने बताया की वायु प्रदूषण के कारण बच्चों के फेफड़ों की क्षमता तेजी से घट रही है। जल प्रदूषण या ध्वनि प्रदूषण का इलाज है। लेकिन वायु प्रदूषण के कारण बच्चों के फेफड़ों की क्षमता एक बार कम हुई तो फिर उसे बढ़ाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि ऐसे विकास निर्माण का क्या फायदा जो आने वाली पीढ़ी को नपुंसक बनाए।
कर्नल त्यागी ने कहा कि संविधान के 74वें संशोधन के अंतर्गत विकास प्राधिकरण इसलिए स्थापित किए गए थे जिससे कि गरीब लोगों को तरीके से आवास उपलब्ध कराये जा सकें। लेकिन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण बिल्डरों को जमीन उपलब्ध कराने में लगा हुआ है। लिहाजा अब इनका कार्यकाल भी समाप्त किया जाए।
वसुंधरा विकास समिति के सचिव संतोष शर्मा ने कहा कि नगरीय विकास, बढ़ती हुई शहरी आबादी को आवास प्रदान करने के लिये जरूरी है। वसुंधरा विकास समिति के प्रशासनिक सदस्य नीरज त्यागी ने कहा की कोरोना काल ने हमें सिखाया कि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण ट्रांसपोर्ट है अतः जैव ईंधन को पूर्णतः सार्वजानिक ट्रांसपोर्ट में बंद करके बिजली और हाइड्रोजन चालित वाहन ही प्रयोग किये जाये।
लाइन पार आरडब्लूए फेडरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर आरके आर्य ने कहा कि जो बहुमंजली सोसायटियांं हैं उन्हें अधिकतर पानी के लिए भूजल दोहन करना पड़ रहा है तो नई इमारतों का निर्माण तब तक न हो जब तक पानी की व्यवस्था ना की जा सके।
कोरवा यूपी के अध्यक्ष पवन कौशिक ने कहा आज ना तो जल साफ है और ना हवा साफ है। जिम्मेदार भी खामोश बैठे हुए हैं। इस अवसर पर गौरव सेनानी ज्ञान सिंह , एडवोकेट अंशु त्यागी , एमएल वर्मा , नेमपाल चौधरी , एमएल मल्होत्रा, एमके त्यागी, गौरव सेनानी चन्दन सिंह, गौरव सेनानी राजेन्द्र त्रिपाठी, नमिता भल्ला, छाया गुप्ता, सुधीर कुमार, संतोष कुमार शर्मा, भूपेन्द्र नेगी, आईसी जिंदल, राज शर्मा, स्मायरा , रजनीश त्यागी, डॉ. मधु सिंह और सुभाष शर्मा भी उपस्थित रहे। बैठक के अंत में तय किया गया कि 11 मार्च को जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम में एक ज्ञापन दिया जाएगा।