मेरठ। मेरठ में शहर काजी को लेकर उठा विवाद शांत नहीं हो रहा है। शहर काजी डा. जैनुससाजिद्दीन के निधन के बाद उनके बेटे डा. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी को नया शहर काजी बनाया गया। जिसका शहर कारी शफीकुर्रहमान विरोध कर रहे हैं।
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वहीं नए शहर काजी डा. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी का कहना है कि मुगलकाल से पीढ़ी दर पीढ़ी उनके परिवार के लोग शहर काजी बनते आ रहे हैं। जबकि इस बारे में कारी शफीकुर्रहमान का कहना है कि वे हाफिज और मौलवी हैं, शहर काजी पर उनका ही हक बनता है। वहीं अब मौलाना खुर्शीद अहमद कासमी ने भी इस बारे में अपना बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि मुस्लिम समाज के फैसले के बाद कोई दूसरी नियुक्ति गैर शरई होती है।
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शाही जामा मस्जिद में उलमा इकराम द्वारा आयोजित बैठक की अध्यक्षता उन्होंने की। जमीयत उलेमा मेरठ के अध्यक्ष कारी अनवार ने कहा कि काजी डॉ. जैनुस सालिकीन का काजी के पद पर फैसला सभी उलमा इकराम व मेरठ की आवाम ने मिलकर किया है। जिसका वह समर्थन करते हैं। डॉ. यूसुफ कुरैशी ने कहा कि काजी का मनोनयन, काजी अधिनियम 1880 के अनुसार, आवाम की तादाद पर निर्भर करता हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने जामा मस्जिद और उसके बाहर हाथ उठाकर ताईद की थी, जिसमें किसी तरमीम की जरूरत नहीं है।