नई दिल्ली। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से भुगतान बाधित होने की घटनाओं के मद्देनजर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की और यूपीआई इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के निर्देश दिए। बैठक में वित्त मंत्रालय के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। मंत्रालय ने बताया कि बैठक में यूपीआई इकोसिस्टम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की गई और इसके भविष्य के बारे में विचार-विमर्श किया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग एक महीने में तीन बार देश भर में यूपीआई सेवाएं बाधित हो चुकी हैं। पहली घटना 26 मार्च को, दूसरी 1 अप्रैल को और तीसरी 12 अप्रैल को हुई थी।
इससे भुगतान के लिए यूपीआई पर निर्भर रहने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इस लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जाने वाली बैठक में वित्त सचिव अजय सेठ, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागाराजू, आरबीआई के कार्यकारी निदेशक विवेक दीप और एनपीसीआई के एमडी एवं सीईओ दिलीप अस्बे मौजूद थे। वित्त मंत्री ने उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव प्रदान करने और साइबर सुरक्षा आर्किटेक्चर में सुधार के लिए हितधारकों से साथ मिलकर ढांचागत खामियों को दूर करने की अपील की। उन्होंने एनपीसीआई अधिकारियों को यूपीआई तंत्र की मजबूती बढ़ाने और भविष्य में बाधाओं को रोकने के उपाय करने के निर्देश दिए। मंत्रालय के अनुसार, यूपीआई इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती, विस्तार और रियल-टाइम निगरानी में सुधार पर चर्चा हुई, ताकि निर्बाध सेवा प्रदान कर उपयोगकर्ता का विश्वास मजबूत किया जा सके। देश में यूपीआई का चलन बढ़ रहा है।
वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक पांच साल में इसकी औसत वार्षिक विकास दर 72 प्रतिशत रही। एनपीसीआई अधिकारियों ने वित्त मंत्री को बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 से 2024-25 के बीच 26 करोड़ नए उपयोगकर्ता बने और 5.5 करोड़ नए मर्चेंट यूपीआई प्लेटफार्मों से जुड़े। वर्तमान में लगभग 45 करोड़ सक्रिय उपयोगकर्ता यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं। गत 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2024-25 में यूपीआई ट्रांजेक्शन का मूल्य 30 प्रतिशत बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपए पर और ट्रांजेक्शनों की संख्या 42 प्रतिशत बढ़कर 18,586 करोड़ पर पहुंच गई। वित्त मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वे अगले दो-तीन साल में प्रतिदिन एक बिलियन ट्रांजेक्शन का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम करें। साथ ही, उन्होंने इंटऑपरेबल फ्रेमवर्क का विकास और वैश्विक भुगतान स्वीकार्यता बढ़ाकर यूपीआई के अंतर्राष्ट्रीयकरण में गति लाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यूपीआई की पहुंच और प्रभाव बढ़ाने के लिए वे यूपीआई प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं और मर्चेंट की संख्या बढ़ाने का प्रयास करें।