किसी कार्य को करने के लिए श्रेष्ठ, उचित और निर्धारित समय आज का है, किन्तु हम शुभ मुहुर्तों की प्रतीक्षा में उस कार्य को प्रारम्भ ही नहीं करते।
जब मुर्हुत आता है तो उस कार्य को करने का समय निकल जाता है, किन्तु जो व्यक्ति निश्चित कार्य को निर्धारित और सही समय पर कर लेते हैं, वे ही लाभ में रहते हैं। शुभ मुर्हुत की प्रतीक्षा में बैठा व्यक्ति तो असफलता का मुंह ही देखता है।
शुभ-अशुभ दिन और मुर्हुत के अंधविश्वास में फंसे मानसिक रूप से दुर्बल, भयभीत तथा शंकाकुल व्यक्ति के सापेक्ष वे व्यक्ति जो परमात्मा के बनाये हर दिन, हर घडी और हर दिशा को शुभ मान निर्धारित समय पर पूरे उत्साह असंदेह एवं आशा में अपना कर्तव्य करते हैं, वे जीवन में कदाचित ही असफलता का मुंह देखते हैं, जबकि मुर्हुत और शुभाशुभवादी पग-पग पर असफलता एवं अनिष्ट की आशंका से अपना काम बिगाड़ लेते हैं।