पटना। देश के गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को बिहार के लखीसराय में एक जनसभा को संबोधित किया था। जिसमें शाह ने जिक्र किया था कि एनडीए के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष की ओर से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया गया है। उस बयान के अब मायने निकाले जाने लगे हैं।
दरअसल, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी में किन्हीं एक को चुनेंगे। कहा जा रहा है कि विपक्षी दलों की एकजुटता को लेकर भले देशभर में कवायद चल रही है। लेकिन, नेता के नाम पर सभी पार्टियां एकमत हो जाएं, इसमें सभी को संदेह है।
इधर, भाजपा नेता अमित शाह ने राहुल गांधी को नेता बताकर विपक्षी दलों की एकजुटता के चल रहे प्रयास को भी पटरी से उतारने की कोशिश की है। भाजपा पहले से मानती है कि विपक्षी दलों में जैसे ही नेता के नाम की चर्चा शुरू होगी, फूट पड़नी तय है। विपक्षी दलों की पटना में हुई बैठक में चर्चा थी कि संयोजक के नाम पर मुहर लग जाएगी। लेकिन, बैठक में इस नाम पर भी मुहर नहीं लग सकी।
माना यह भी जा रहा है कि विपक्षी दलों में कई नेता ऐसे हैं, जो राहुल गांधी से दमदार हैं, ऐसे लोगों को नेता बनाए जाने के बाद भाजपा की मुश्किल बढ़ सकती है। यही कारण है कि शाह ने राहुल गांधी को विपक्षी दलों की ओर से नेता मानकर अपनी चाल चली है।
जब जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अमित शाह ने आखिरकार राहुल गांधी को संयुक्त विपक्ष के नेता के रूप में स्वीकार किया। अभी तक तो भाजपा राहुल गांधी को नेता स्वीकार करने से इनकार करती रही है।