Sunday, November 3, 2024

अनमोल वचन

आज मानव अशांत है क्यों? इसलिए कि उसके सद्विचारों की निर्मल धारा विषाक्त विचारों में परिवर्तित हो गई है। शान्ति चाहिए तो दसूरों के प्रति नि:स्वार्थ एवं कल्याणकारी भावनाओं को हृदय में पल्लवित और पुष्पित होने दें और शान्ति की अनुभूति प्राप्त करें। शान्ति की अभिवृद्धि के लिए हमें धैर्य, क्षमा, सहनशीलता उदारता, सहयोग, करूणा, दया आदि गुणों को अपनाना चाहिए।

मनुष्य के मूल में कोई सार तत्व है, जिसे हम आत्मा, चेतना अथवा परमात्मा का अंश कह सकते हैं। जिस क्रिया को करने से आत्मस्वरूप की प्राप्ति होती है उस क्रिया को आध्यात्म कहते हैं।

मनुष्य का अपने चेतन स्वरूप से जुड़ना ही आध्यात्मिकता है, आध्यात्मिकता के प्रकाश से प्रकाशित होना चरित्र का वास्तविक उन्नयन है। यह देह आध्यात्म की माटी का द्वीप है, संयम आध्यात्म का तेल है, साधना आध्यात्म की बाती, दृष्टि आध्यात्म की लौ, ध्यान आध्यात्म की धूप और ज्ञान दर्शन आध्यात्म का प्रकाश है। प्रकाश फैलेगा तो अशान्ति तिरोहित हो जायेगी और होगा चहुं ओर सुख शान्ति का साम्राज्य।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय