Saturday, February 1, 2025

मुसीबतों को निमंत्रण है घर से भागना

लड़कियों के घर से भागने के किस्से बहुत पुराने हैं। लेकिन जहां पहले ये किस्से इतने आम न थे, आज हो गए हैं। कई बार उनके ऐसे कदम के लिए उनसे ज्यादा उनके घरवालों तथा परिस्थितियां जिम्मेदार होती हैं पर प्राय: इस कदम से लड़कियां ऐसे दुष्चक्र  में फंस जाती हैं जहां से निकलना संभव नहीं होता।

कई बार घर में संवादहीनता जैसी स्थिति होती है। किशोरवय अपने साथ, बहुत से प्रश्न, बहुत सी उलझनें व बदलाव लेकर आती हैं। ऐसे में लड़कियों को ऐसे मित्र व अभिभावक की सख्त जरूरत होती है जिनसे वे अपनी उलझनें शेयर कर सकें। घर में मां-बाप का सपोर्ट न मिलने पर बाहर वालों के बहकावे में आते उन्हें देर नहीं लगती। कोई भी सच्चा प्रेमी कभी उन्हें घर से भागने की राय नहीं देगा।

मां बाप चूंकि दुनिया देखे हुए परिपक्व लोग होते हैं उन पर लड़कियों के मन को समझने की जिम्मेदारी अधिक होती है। युवावस्था जिज्ञासाओं से भरी होती है। उनमें असीम एनर्जी होती है जिसे सही चैनलाइजेशन की जरूरत है। उनकी जिद कब जुनून बन जाए, कह नहीं सकते। मां बाप का अनकंडीशनल लव और उनकी समझदारी ही इसे नियंत्रित कर सकती है। जिद को जिद से टैकल नहीं किया जा सकता। न ही छलकपट और झूठे वायदे काम आते हैं। उनसे तो बात और बिगड़ेगी ही।

प्रकृति ने हर व्यक्ति को अनूठा  बनाया है। कोई भी पूरी तरह बुरा या अच्छा नहीं होता। यह जरूर है कि कई लड़कियां बहुत आज्ञाकारी साबित होती हैं। उन्हें अपने कर्तव्यों व मां बाप की इज्जत का पूरी तरह अहसास होता है, कई शुरू से अडिय़ल, हठी हमेशा अपनी ही मनमानी करने वाली बेहद खुदगर्ज किस्म की होती हैं। न उन्हें मां बाप से लगाव होता है न उनकी इज्जत की परवाह।

सोचने की बात है कि मां बाप से बढ़कर कौन उनका हितैषी हो सकता है। सो कॉल्डप्रेमी जिसके लिए वो मां बाप को छोड़कर भागने को तैयार हो जाती हैं, उसे वे जानती ही कितना हैं?
यह ठीक है कि एक उम्र ऐसी आती है जब मां बाप के अलावा विपरीत सैक्स का प्यार जरूरत बन जाती है। यह कुदरत है और इसे तो स्वीकार करना ही पड़ेगा लेकिन इसके लिए ईश्वर तुल्य मां बाप के साथ छल करना और उनके प्यार का ऐसा बदला देना, यहां तक कि उनकी ही मेहनत की कमाई भी चोरी कर साथ ले जाना (क्योंकि फटीचर प्रेमी का हुक्म है) नीचता ही होगी।

कई बार प्यार का भूत ऐसा सिर चढ़कर बोलता है कि लड़कियां अपने अच्छे संस्कार भी दरकिनार कर देती है। ऐसे में मां-बाप कहां से कुसूरवार कहलाएंगे। घर में सौतेली मां या सौतेला बाप हो जिनका व्यवहार असहनीय हो, तब लड़कियों का घर से पलायन फिर भी समझ में आता है लेकिन जिस प्रेमी के साथ भागी हों, उसके दगाबाज निकलने पर स्थिति ऐसी ही हो जाती है जैसे आसमान से गिरी खजूर से अटकी हो। घर से बाहर की दुनिया लड़कियों के लिए दुनिया के किसी भी कोने में निरापद नहीं।

जीवन से भले ही कितनी असंतुष्ट हों लेकिन पढऩे का सुअवसर मिल रहा है तो उसे बिल्कुल न गंवाएं। एक बार पढ़ लिखकर कुछ बन जाएं तो फिर आप में इतना आत्मविश्वास होगा कि अपना जीवन अपनी इच्छा से सुरक्षित गुजार सके। देखा जाए तो आमतौर से लड़कियों के लिए विवाह कर एक सुखद गृहस्थ जीवन बिताना ही श्रेयस्कर है। फिजूल के एडवेंचर, जानलेवा महत्वाकांक्षाएं, ग्लैमर के पीछे की दौड़ और ओवरस्मार्टनेस उनके लिए सिर्फ मुसीबतें ही पैदा करती हैं और वे कभी सुखी नहीं रहती। बाहर की दुनिया लड़कियों के लिए सो कॉल्ड उन्नति के बावजूद पहले से ज्यादा असुरक्षित है।
– उषा जैन ‘शीरीं’

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