आप सांसद राघव चड्ढा ने बिल का विरोध किया और अपने संबोधन की शुरूआत महाभारत के अंश से की जिसका जिक्र रामधारी सिंह दिनकर ने रश्मिरथी के तृतीय सर्ग में किया था।’
‘मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान हस्तिनापुर आए,
पांडव का संदेशा लाए।
‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पांच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खाएंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशिष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बांधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।’
आप सांसद ने बिल का समर्थन करने पर बीजद और वाईएसआर कांग्रेस पर कटाक्ष किया। इस दौरान उन्होंने बशीर बद्र का मशहूर शेर पढ़ा।
‘कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं कोई बेवफा नहीं होता।’
आगे आप सांसद ने बीजद और वाईएसआर को चेतावनी देते हुए राहत इंदौरी की मशहूर लाइनें कहीं।
‘अगर खिलाफ है होने दो, जान थोड़ी है
ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में
यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।’