Wednesday, November 6, 2024

‘नफरत भरे भाषण’ के मामलों का कानून के मुताबिक निपटारा होगाः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसे यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि ‘नफरत फैलाने वाले भाषण’ के मामलों से कानून के मुताबिक निपटा जाना चाहिए, चाहे अपराधी किसी भी समुदाय या धर्म का हो।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह में हुई सांप्रदायिक झड़पों के बाद मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के आह्वान के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे।

दरअसल, पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान एक वकील ने अदालत को बताया कि जुलाई में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने एक रैली आयोजित की थी, जिसमें हिंदुओं के खिलाफ नारे लगाए गए थे।

इस दौरान पीठ ने कहा कि “हम बहुत स्पष्ट हैं। चाहे एक पक्ष हो या दूसरा पक्ष, उनके साथ एक जैसा व्यवहार करना होगा। यदि कोई ऐसी किसी भी चीज में लिप्त होता है जिसे हम ‘घृणास्पद भाषण’ (हेट स्पीच) के रूप में जानते हैं, तो उनसे कानून के अनुसार निपटा जाएगा। यह कुछ ऐसा है, जिस पर हम पहले ही अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं।

इस मामले की सुनवाई के लिए अदालत ने 25 अगस्त को अगली तिथि तय की है।

पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार राज्य सरकारों से नियुक्त नोडल अधिकारियों को हेट स्पीच वाले वीडियो भेजने को कहा था। हेट स्पीच के मामलों को देखने के लिए राज्यों के डीजीपी द्वारा जिला स्तरीय समिति के गठन पर भी विचार किया गया था।

शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया था कि हेट स्पीच के मुद्दे का “समाधान करना होगा” और केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम. नटराज से 18 अगस्त तक निर्देश मांगने को कहा गया था।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था, “समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। हर कोई जिम्मेदार है। सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।”

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों में 27 से अधिक रैलियां आयोजित की गई हैं, जहां खुले तौर पर “मुसलमानों की हत्या के साथ सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार” का आह्वान करते हुए घृणास्पद भाषण दिए गए हैं।

इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने जोर दिया था कि संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में देखता है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हेट स्पीच के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया था। साथ ही ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ बिना किसी धर्म की परवाह किए आपराधिक मामले दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

 

 

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