Thursday, January 23, 2025

झारखंड हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को आजीवन मिलेंगे दो स्टाफ, राज्य सरकार देगी वेतन

रांची। झारखंड हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीशों को राज्य सरकार के खर्च पर आजीवन दो स्टाफ उपलब्ध कराए जाने का प्रस्ताव है। झारखंड सरकार ने इसके लिए द हाईकोर्ट ऑफ झारखंड (कंडीशंस ऑफ इंगेजमेंट ऑफ को-टर्मिनस एम्प्लॉयीज) रूल्स, 2019 नामक प्रस्तावित नियमावली अनुमोदन के लिए राज्यपाल के पास भेजी है।

को-टर्मिनस आधार पर स्टाफ नियुक्ति की ऐसी ही नियमावली पूर्व में भी राज्यपाल के पास भेजी गई थी। तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने तब इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए थे और यह अनुमोदित नहीं हो पाया था।

झारखंड कैबिनेट ने 11 अगस्त को इस प्रस्तावित नियमावली को राज्यपाल के पास भेजने का निर्णय लिया। यह नियमावली लागू हो जाने पर न्यायाधीशों के साथ को-टर्मिनस आधार पर दो स्टाफ उनके पूरे जीवन के लिए संलग्न किए जाएंगे।

न्यायाधीश का निधन होने पर उनके जीवनसाथी (पति या पत्नी) को भी यह सुविधा प्राप्त होगी। न्यायाधीश के सेवाकाल में ही ये कर्मी नियुक्त होंगे और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी उनके साथ ही रहेंगे।

इन दोनों कर्मियों का वेतन राज्य सरकार ही देगी। चतुर्थ श्रेणी के दोनों कर्मियों के लिए शुरुआती वेतन करीब 20-20 हजार रुपये होंगे।

प्रस्तावित नियमावली के अनुसार जज के सेवाकाल में ही ये कर्मी नियुक्त होंगे और जज की सेवानिवृत्ति के बाद भी उनके साथ ही रहेंगे। इन कर्मियों का चयन भी न्यायाधीश स्वयं करेंगे। सेवा काल में अगर जज का तबादला दूसरे राज्य में होता है तो दोनों कर्मी भी उनके साथ जाएंगे।

अगर कर्मी किसी ऐसे राज्य में जज के साथ जाते हैं जहां इन कर्मियों के लिए भुगतान को लेकर कोई कानून नहीं है तो झारखंड सरकार ही उनका भुगतान करती रहेगी। वर्तमान में न्यायाधीशों को हर माह लगभग आठ हजार रुपये निजी स्टाफ रखने के लिए दिए जाते हैं। इस तरह के प्रावधान दक्षिण भारत के एक-दो राज्यों में पहले से लागू हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व जजों को सेवानिवृत्ति के बाद अतिरिक्त सुविधाओं में बढ़ोतरी की अधिसूचना जारी की थी। केंद्र की अधिसूचना के मुताबिक उन्हें रिटायरमेंट के एक साल बाद तक एक सचिव और एक ड्राइवर मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रिटायरमेंट के छह महीने बाद तक दिल्ली में टाइप 7 के बंगले में बिना किराया रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के जजों के वेतन और सुविधाओं से जुड़े कानून सुप्रीम कोर्ट जजेस (सैलरीज एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट 1958 की धारा 24 में केंद्र सरकार के पास यह शक्ति है कि वह जजों की सुविधाओं पर नियम बना सकती है। सरकार समय-समय पर सुविधाओं की समीक्षा करती है और उसमें सुधार भी करती है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!