Thursday, September 19, 2024

सरकार का आश्‍वासन, महिला आरक्षण बिल पर ‘उचित समय पर उचित फैसला’ लिया जाएगा

नई दिल्ली। सरकार ने रविवार को कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पर उचित निर्णय सही समय पर लिया जाएगा।

संसद के विशेष सत्र की पूर्व संध्या पर सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने पर ”उचित समय पर उचित निर्णय” लिया जाएगा। बैठक में सभी दलों के नेता मौजूद थे।

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बैठक के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने लोकसभा में विधेयक को पारित करने की मांग की।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बैठक के बाद कहा कि सभी विपक्षी दलों ने विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की मांग की है।

सर्वदलीय बैठक के बाद भाजपा के सहयोगी और एनसीपी-अजित पवार गुट के नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, “हम सरकार से इस संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की अपील करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर संसद नए भवन में स्थानांतरित हो जाएगी।

संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर के बीच होगा। जोशी ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में कश्मीर में अपनी जान गंवाने वाले सुरक्षा बलों के जवानों को श्रद्धांजलि दी गई।

इस बीच विवादास्पद मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 सहित चार विधेयकों पर सत्र के दौरान चर्चा होगी और सरकार उन्‍हें पारित कराने का प्रस्‍ताव पेश करेगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 को मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था, और ऊपरी सदन से पारित होने के बाद इसे लोकसभा में विचार और पारित करने के लिए रखा जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत, चुनाव आयुक्तों (ईसी) और मुख्य चुनाव आयुक्तों (सीईसी) की नियुक्ति के लिए पहले गठित पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाने के लिए विधेयक में प्रावधान किया गया है। पैनल में प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता सहित तीन सदस्य होंगे।

विधेयक में शीर्ष चुनाव अधिकारियों के वेतन और भत्ते की संरचना को बदलने का भी प्रावधान है, जिससे उनका स्‍तर शीर्ष अदालत में एक न्यायाधीश की जगह कैबिनेट सचिव का हो जायेगा।

इससे पहले, ईसी और सीईसी की नियुक्ति केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा प्रधान मंत्री को उपयुक्त उम्मीदवारों की सिफारिशों के आधार पर की जाती थी, जो फिर उम्मीदवारों का चयन करते थे और राष्ट्रपति उनकी नियुक्ति करते थे।

 

 

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