गुवाहाटी। असम के सिलचर शहर के एक निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने जिस नवजात शिशु को मृत घोषित कर दिया था, वह अंतिम संस्कार से ठीक पहले जीवित पाया गया। यह घटना बुधवार तड़के हुई।
बच्चे के पिता 29 वर्षीय रतन दास ने कहा कि मंगलवार की रात वह अपनी छह महीने की गर्भवती पत्नी को सिलचर के एक निजी अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि गर्भावस्था में समस्याएं आ रही हैं और मां या बच्चे को ही बचाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “हमने उन्हें बच्चे को जन्म देने की इजाजत दी। उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी ने मृत बच्चे को जन्म दिया है। हमें बुधवार सुबह शव और मृत्यु प्रमाण पत्र मिला।”
रतन दास ने दावा किया कि मृतक के शरीर वाला एक पार्सल दिया गया था।
उन्होंने कहा, “हमने सिलचर श्मशान में पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार से पहले पैकेट खोला तो बच्चा रो रहा था। हम अस्पताल पहुंचे, जहां बच्चे का इलाज चल रहा है।”
इसके बाद सिलचर के मालिनीबिल इलाके के निवासियों की भीड़ ने अस्पताल के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
स्थानीय नागरिक सुजीत दास चौधरी ने दावा किया, अस्पताल के कर्मचारियों ने शिशु को कूड़े की तरह 8 घंटे से अधिक समय तक एक पैकेट के अंदर रखा, बिना ठीक से पता लगाए कि बच्चा अभी भी जीवित है या नहीं।
परिजनों ने अस्पताल और एक डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। हालांकि, इस मामले में पुलिस ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, शिशु को मृत घोषित करने से पहले आठ घंटे निगरानी में रखा गया था।
अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया, “हमने शिशु का बार-बार निरीक्षण किया। लेकिन, वह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था। हमने प्रक्रिया के अनुसार शिशु को मृत घोषित करके परिवार को दे दिया।”