वाराणसी। देश के अलग-अलग राज्यों में अपने खास अंदाज और परंपरा के साथ होली मनाई गई। वहीं, काशी विश्वनाथ की धरती काशी में होली के पहले रंगभरी एकादशी और मसान की होली खेली गई। होली के एक दिन बाद वाराणसी में गुलाब बाड़ी की परंपरा का निर्वाह किया गया। इस दौरान लोगों ने गुलाब की पंखुड़ियों से होली खेली। वाराणसी के तेलियाबाग में बाटी चोखा रेस्टोरेंट में गुलाब बाड़ी की परंपरा का निर्वाह किया गया। बनारसी अंदाज में गुलाब की पंखुड़ियों के साथ लोगों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में शामिल अतिथियों का टीका और चंदन लगाकर स्वागत किया गया। गुलाब बाड़ी कार्यक्रम में पारंपरिक होली गीत के साथ ठंडई और भांग का स्वाद भी लोगों ने खूब चखा। वाराणसी में होली के एक दिन बाद गुलाब बाड़ी की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
गुलाब बाड़ी कार्यक्रम में शामिल काशीवासियों ने खूब आनंद उठाया। कार्यक्रम में शामिल अतुल पांडेय ने बताया, “वाराणसी में गुलाब बाड़ी कार्यक्रम है, जिसमें हम सभी लोग गुलाब की पंखुड़ियों से होली खेल रहे हैं और सभी को सामाजिक समरसता का संदेश दे रहे हैं। कार्यक्रम में कोई ऊंच-नीच नहीं है। सभी वर्गों के लोग इसमें शामिल हैं। सभी अपने दोस्तों, भाइयों और परिजनों के साथ आए हैं और कार्यक्रम का लुत्फ उठा रहे हैं। गुलाब की पंखुड़ियों से खेलने के कारण कार्यक्रम का नाम गुलाब बाड़ी दिया गया है।” कार्यक्रम में शामिल गायक अतुल पांडेय ने बताया, “बनारस का अपना एक उमंग, तरंग और रंग है। यहां के लोग पूरे मिजाज के साथ बाबा विश्वनाथ और जन-जन के साथ होली खेलते हैं। यहां पर रंगों के साथ-साथ गुलाबों की भी होली होती है। लोग यहां पर भांग और ठंडाई के साथ होली का आनंद ले रहे हैं।”