नई दिल्ली। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरजा भटला ने बुधवार को कहा कि स्वदेशी रूप से विकसित एचपीवी टेस्ट किट महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौतों के प्रमुख कारणों में से एक सर्वाइकल कैंसर से निपटने के भारत के प्रयासों में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। राष्ट्रीय राजधानी में एक साइंटिफिक रिव्यू कार्यक्रम के अवसर पर आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह कम लागत वाली किट विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में प्रारंभिक जांच को मजबूत करने में मदद करेगी। उन्होंने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में टीकाकरण और जांच दोनों के महत्व पर आईएएनएस से कहा, “आदर्श रूप से टीकाकरण 15 वर्ष की आयु से पहले किया जाना चाहिए और जांच 30 वर्ष के बाद शुरू होनी चाहिए।
“उन्होंने आगे कहा कि यह नए एचपीवी परीक्षण किट विशेष रूप से सीमित मेडिकल स्टाफ वाले क्षेत्रों में उपयोगी होंगे। भटला ने आईएएनएस से कहा, “हम पूर्वोत्तर में पहले ही देख चुके हैं कि प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ की कमी है। इन किटों का इस्तेमाल करना आसान है और इन्हें स्थानीय स्वास्थ्य कर्मचारी भी संभाल सकते हैं, जिससे स्क्रीनिंग बहुत आसान हो जाएगी।” कीमत के सवाल पर भटला ने कहा कि किट की अंतिम कीमत अभी तय नहीं हुई है। उन्होंने कहा, “कीमतें इस बात पर निर्भर करेंगी कि सरकार उन्हें अपने राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में कैसे शामिल करती है और कितनी मात्रा में किट खरीदी जाती है। लेकिन हमें उम्मीद है कि ये किट मौजूदा विकल्पों की तुलना में ज्यादा किफायती होंगी।” कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन किफायती किटों का विकास पूरे भारत में महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ बनाने की दिशा में सहायता मिलेगी