मुंबई । महाराष्ट्र में गरमाई सियासत के बीच बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दोनों गुटों ने बुधवार को अलग-अलग बैठक कर शक्ति प्रदर्शन किया। इन बैठकों के बाद अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने बड़ा दावा किया है। इसमें शरद पवार की जगह अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष बनाने का दावा किया गया है।
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बांद्रा स्थित एमईटी कालेज में अपने समर्थक विधायकों व पदाधिकारियों की बैठक बुलाई। इस बैठक में राकांपा के 32 विधायक उपस्थित थे। इसी तरह शरद पवार के गुट की ओर से नरीमन पाईंट स्थित यशवंत राव चव्हाण प्रतिष्ठान में बैठक बुलाई गई। इस बैठक में राकांपा के 16 विधायक उपस्थित थे। राकांपा के कुल 53 विधायकों में से एक नवाब मलिक इस समय जेल में हैं और 4 विधायक तटस्थ रहे। इन चारों ने किसी भी बैठक में जाने से परहेज किया। बैठक के बाद अजीत पवार 32 विधायकों को लेकर होटल ताज लैंड में पहुंचे हैं। इन सभी विधायकों को अजीत पवार ने होटल में सुरक्षित रखा है। होटल में अजीत पवार, छगन भुजबल आदि नेता खुद भी मौजूद हैं।
इस बैठक में अजीत पवार ने कहा कि राकांपा में उनके साथ हमेशा अन्याय हुआ। चार बार मुख्यमंत्री बनने का मौका आया, लेकिन नेतृत्व ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने नहीं दिया। अजीत पवार ने कहा कि शरद पवार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, फिर अचानक अपना इस्तीफा वापस ले लिया। यह किस तरह की पद्धति है। साथ ही अजीत पवार ने कहा कि वे सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए तैयार थे।
शरद पवार ने अपने समर्थकों की बैठक में कहा कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ा तो कांग्रेस पार्टी की संपत्ति पर हक नहीं जताया था। शरद पवार ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस समय गैर भाजपा सरकारों और समर्थकों को तोड़ने का काम किया जा रहा है, लेकिन अब तक का इतिहास है कि जो भाजपा के साथ गया, खत्म हो गया। शरद पवार ने कहा कि छगन भुजबल उनसे कह कर गए कि क्या हो रहा है, देखकर आता हूं और उन्होंने मंत्री पद की शपथ ले ली।
दोनों गुटों की बैठक के बाद अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने बड़ा दावा किया है। इसमें शरद पवार की जगह अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष बनाने का दावा किया गया है। बताया गया है कि कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने 30 जून को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी, जिसमें प्रस्ताव पास किया गया है कि पार्टी लोगों के कल्याण के उद्देश्य से दूर जा रही है, ऐसे में शरद पवार की जगह अजित पवार को अध्यक्ष चुना जाता है। अजित गुट ने चुनाव आयोग में भी अर्जी दायर की है, जिसमें कहा गया है कि 30 जून को मुंबई में हुई कार्यकारिणी की बैठक में अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष चुना गया है।
‘उन्होंने कहा, ”मैं पांच बार डिप्टी सीएम बना हूं… मैं सीएम बनना चाहूंगा… यह शरद पवार के कारण है कि हमने राज्य में एनसीपी का सीएम बनाने के कई मौके गंवा दिए…।”
नए डिप्टी सीएम ने दावा किया कि 2004, 2017, 2019 और 2022 में इसके लिए संभावनाएं सामने आई थीं, “लेकिन अंतिम समय में इसे विफल कर दिया गया, क्योंकि शरद पवार ने पार्टी की बात नहीं मानी और एक अलग रुख अपनाया।”
अजित पवार ने दावा किया कि 2004 में एनसीपी के पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे, लेकिन उन्होंने सीएम पद कांग्रेस को दे दिया, लेकिन अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो आज भी राज्य में एनसीपी का शासन होता।
फिर 2014 में जब भाजपा से प्रफुल्ल पटेल को बाहर से समर्थन देने के लिए कहा गया तो भाजपा ने कहा कि वह अपने 25 साल पुराने साथी शिवसेना को नहीं छोड़ सकती, इसलिए उसे भाजपा-शिवसेना-एनसीपी की सरकार बनानी होगी।
अजित पवार ने अपने चाचा पर हमला करते हुए कहा, “उस समय कहा गया कि शिवसेना घोर सांप्रदायिक पार्टी है… तो फिर 2019 में यह अचानक कैसे ठीक हो गया और भाजपा सांप्रदायिक हो गई? ऐसी चीजें काम नहीं कर सकतीं।”
यहां तक कि 2019 में भी पांच बैठकें हुईं, सभी हस्ताक्षर वाले पत्र तैयार थे और अचानक चीजें बदल गईं, और “मुझे चुप रहने के लिए कहा गया।” उन्होंने पूछा, “तब सरकार ने सुबह में शपथ क्यों ली थी।”
उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि राजनीति पूरी तरह से विकास के लिए है और शरद पवार ने 1978 में लोक कल्याण के लिए इसी तरह का निर्णय लिया था, जब (तत्कालीन) जनसंघ उनकी सरकार में शामिल हुआ था, “तो अब हम गलत कैसे हैं?”
अजित पवार ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और 1980 में आपातकाल के बाद उनके दोबारा चुने जाने का जिक्र किया और कहा कि अब भी देश को एक मजबूत और करिश्माई नेता की जरूरत है।
अजित पवार ने कहा, “2024 के चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है… यही सच्चाई है। यहां तक कि शरद पवार साहब ने भी यह कहा है।”
एनसीपी से बगावत करने और राज्य सरकार में शामिल होने के अपने गुट के फैसले को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि उनके सभी समर्थकों को विभिन्न तरीकों से लाभ होगा। उनकी पार्टी लगभग 90 सीटों, कई लोकसभा सीटों पर भी चुनाव लड़ेगी, विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में रुके हुए सभी विकास कार्यों को पूरी गति से आगे बढ़ाया जाएगा, जबकि अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं को विभिन्न पद दिए जाएंगे।
अजीत पवार ने घोषणा की, “अगर हम सत्ता में रहकर राज्य के विकास में योगदान दे सकते हैं, तो क्यों नहीं दें। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लंबित कार्यों को बिना किसी भेदभाव के पूरा किया जाएगा… हम 2014 या 2019 की तुलना में अधिक सीटें जीतेंगे।”
अजित पवार ने रविवार को अचानक महाराष्ट्र की राजनीति को हिलाकर रख दिया, लगभग तीन दर्जन विधायकों के साथ अचानक एनसीपी से बाहर चले गए और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस के साथ दूसरे डिप्टी सीएम के रूप में शामिल हो गए। उनके साथ अन्य 8 मंत्रियों ने भी शपथ ली। तीन दिन बाद (5 जुलाई) उन्होंने अपने गुट की पहली बैठक को संबोधित किया और इसे उन्होंने ‘असली एनसीपी’ के रूप में वर्णित किया। उन्होंने चुनाव आयोग के सामने अपने द्वारा स्थापित पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न आवंटित किए जाने का औपचारिक दावा पेश किया है।
बांद्रा के एमईटी ऑडिटोरियम में बुधवार की बैठक को प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, रूपाली चाकणकर और अन्य दिग्गजों ने जोरदार भाषणों से संबोधित किया, जबकि पार्टी के सचेतक अनिल पाटिल ने कम से कम 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया।