वाराणसी। ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में हेट स्पीच को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और एआइएमआइएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका को न्यायालय ने बुधवार को खारिज कर दिया।
एसीजेएम पंचम (एमपी-एमएलए कोर्ट) उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत के फैसले से सपा प्रमुख और ओवैसी को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने पिछली तिथि पर बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।
न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अखिलेश यादव का कथित बयान और ओवैसी बंधु के बयान के संबंध में राज्य और उसकी एजेंसी का प्राथमिक उतरदायित्व है। बयान से राज्य और उसकी एजेंसी को कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति या हिंसा की स्थिति भी उत्पन्न नहीं प्रतीत नहीं होती है।
इन परिस्तिथियों में कोई संज्ञेय अपराध नहीं पाया जाता, इसलिए अर्जी खारिज कर दी गई। बताते चलें कि अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने याचिका अपने अधिवक्ताओं के जरिये दाखिल की थी।
आरोप लगाया कि नमाजियों की ओर से वजूखाने में हाथ-पैर धोए जाते हैं और गंदगी फैलाई जाती है, जबकि वह हमारे आराध्य भगवान शिव का स्थान है। ज्ञानवापी के सर्वे में मिले शिवलिंग को लेकर एआइएमआइएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
अधिवक्ता ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन, मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, ओवैसी आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी।