Saturday, April 27, 2024

लिव-इन रिलेशनशिप पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, ब्रेकअप के बाद महिला के लिए अकेले रहना मुश्किल

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प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप खत्म होने के बाद एक महिला के लिए अकेले रहना मुश्किल है, क्योंकि भारतीय समाज बड़े पैमाने पर ऐसे रिश्तों को स्वीकार और मान्यता नहीं देता है।

अदालत एक ऐसे व्यक्ति की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसे अपनी लिव-इन पार्टनर महिला से शादी करने का वादा पूरा नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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व्यक्ति को जमानत देते हुए, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला के पास ऐसी स्थिति में अपने लिव-इन पार्टनर के खिलाफ मामला दर्ज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

यह एक ऐसा मामला है जहां लिव-इन रिलेशनशिप के बुरे परिणाम सामने आए हैं। लिव-इन रिलेशनशिप टूटने के बाद एक महिला के लिए अकेले रहना मुश्किल है। बड़े पैमाने पर भारतीय समाज ऐसे संबंधों को स्वीकार्य नहीं मानता है। इसलिए, महिला के पास वर्तमान मामले की तरह अपने लिव-इन पार्टनर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, दंपति एक साल से अधिक समय से लिव-इन रिलेशनशिप में थे। महिला की पहले किसी अन्य व्यक्ति से शादी हुई थी, जिससे उसके दो बेटे हैं।

बाद में, लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान आरोपी के साथ यौन संबंधों के कारण वह गर्भवती हो गई। लेकिन, आरोपी ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

महिला का आरोप है कि इसके बाद आरोपी ने उसके पूर्व पति को उसकी अश्लील तस्वीरें भेजीं, जिसके बाद उसने भी उसके साथ रहने से इनकार कर दिया।

महिला ने एक शिकायत दर्ज की जिसके आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

आरोपी के वकील ने कहा कि महिला बालिग है और अपनी इच्छा से आरोपी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रही है। उन्होंने कहा कि वह इस तरह के रिश्ते के परिणाम को समझने में सक्षम थी और ऐसा कोई आरोप नहीं है कि रिश्ते की शुरूआत शादी के वादे से हुई थी।

यह भी तर्क दिया गया कि आरोपी, जिसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है, पिछले साल 22 नवंबर से जेल में है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।

अपराध की प्रकृति, साक्ष्य, अभियुक्त की मिलीभगत, पक्षकारों के वकील की दलीलें, पुलिस द्वारा एकतरफा जांच और अन्य आधारों को देखते हुए अदालत ने व्यक्ति को जमानत दे दी।

आरोपी आदित्य ने आरोपों को खारिज करते हुए अदालत में कहा कि शिकायतकर्ता महिला एक वयस्क है जिसने इस तरह के रिश्ते के परिणामों को जानते हुए सहमति से संबंध बनाया था। उन्होंने शादी के झूठे वादे के आरोप को भी खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने कभी ऐसा कोई वादा नहीं किया था। मामले में महिला के पति से दो बच्चे हैं।

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