प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति जमानत के लिए आंशिक रूप से आवेदन नहीं कर सकता है। आरोपी को उन सभी अपराधों के लिए जमानत लेनी होगी, जिसमें वह वांछित है। कोर्ट ने यह व्यवस्था आईपीसी की धारा 392 और 452 के तहत दो आवेदकों द्वारा दाखिल अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दी है।
उर्मिला देवी व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की पीठ सुनवाई कर रही थी। मामले में याचियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 504, 506, 325, 452 और 392 के तहत 2016 में प्रयागराज के थाना थरवई में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। आरोप पत्र दाखिल होने के बाद मजिस्ट्रेट ने उसका संज्ञान लेकर सभी आरोपों का सामना करने के लिए तलब किया। इस पर दोनों याचियों ने आईपीसी की धारा 323, 325, 504 और 506 के तहत अग्रिम जमानत की मांग की। मजिस्ट्रेट ने इन चार धाराओं में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। लेकिन 452 और 392 के आरोपों में उन्हें जमानत नहीं मिली थी तो उन्होंने इन दोनों धाराओं में अग्रिम जमानत की गुहार लगाई।
सरकारी अधिवक्ता और प्रतिवादियों की ओर से इस पर आपत्ति जताई कि उन्हें आंशिक रूप से जमानत नहीं दी जा सकती है क्योंकि याचियों ने चार धाराओं 323, 325, 504 और 506 में नियमित जमानत ले ली है और अब हाईकोर्ट में दो धाराओं 452 और 392 में अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट आए हैं। यह न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। आरोपियों को सभी धाराओं में जमानत लेनी चाहिए थी।
कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता के तर्कों को सही माना और अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया।