Wednesday, January 22, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा मस्जिद को ‘कृष्ण जन्मभूमि’ के रूप में मान्यता देने की मांग वाली याचिका खारिज की

प्रयागराज (यूपी)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने 4 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता-व्यक्ति अधिवक्ता महक माहेश्‍वरी ने तर्क दिया कि विभिन्न ऐतिहासिक रिकॉर्ड इस तथ्य का हवाला देते हैं कि विवादित स्थल, शाही ईदगाह मस्जिद, वास्तविक जन्मस्थान है। भगवान कृष्ण और यहां तक कि मथुरा का इतिहास भी रामायण युग से जुड़ा है और इस्लाम सिर्फ 1,500 साल पहले आया था।

उन्होंने तर्क दिया कि शाही ईदगाह इस्लामी न्यायशास्त्र के अनुसार एक उचित मस्जिद नहीं थी, क्योंकि जबरन अधिग्रहीत जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती, जबकि हिंदू न्यायशास्त्र के अनुसार, यह एक मंदिर है क्योंकि मंदिर के खंडहर भी एक मंदिर बन सकते हैं।

पूजा स्थल अधिनियम, 1991 द्वारा लगाई गई रोक के संबंध में माहेश्वरी ने कहा कि चूंकि भूमि हमेशा से मंदिर की भूमि रही है, इसलिए इसकी प्रकृति को बदलने का कोई सवाल ही नहीं उठता।

उन्होंने टीआरके रामास्वामी सर्वई बनाम हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती आयुक्त बोर्ड मामले में मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया।

उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि एक समझौते के दौरान 13.37 एकड़ जमीन में से 2.37 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद को दे दी गई, जिससे पता चला कि यह एक मंदिर था, हालांकि इसके ऊपर एक मस्जिद स्थित हो सकती है।

इससे पहले, याचिकाकर्ता की गैरमाैजूदगी के कारण जनहित याचिका को अदालत ने 19 जनवरी, 2021 को डिफ़ॉल्ट रूप से खारिज कर दिया था, लेकिन इसे फिर से अपने मूल नंबर पर बहाल कर दिया गया था।

अपनी याचिका में माहेश्‍वरी ने इस बात पर जोर दिया कि मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है, इसलिए मथुरा में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को ढहा दिया जाना चाहिए और वह जमीन, कथित तौर पर कृष्ण जन्मभूमि, हिंदुओं को सौंप दी जानी चाहिए।

उन्होंने अदालत से पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2,3, 4 को असंवैधानिक घोषित करने का भी आग्रह किया और तर्क दिया कि ये प्रावधान हिंदू कानून के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं कि मंदिर की संपत्ति कभी नहीं खोती है, भले ही वर्षों तक अजनबियों द्वारा इसका आनंद लिया जाए।

माहेश्‍वरी की प्रार्थनाओं में से एक यह भी थी कि उक्त भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए कृष्ण जन्मभूमि के लिए एक उचित ट्रस्ट का गठन किया जाना चाहिए।

 

 

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!