नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच का आदेश दिया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि नोएडा अथॉरिटी द्वारा पिछले 10 से 15 साल में जितने बड़े जमीन अधिग्रहण को लेकर मुआवजा वितरण किया गया है, उसकी जांच की जाए। कोर्ट ने चार हफ्ते में जांच रिपोर्ट दायर करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी।
कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर करते हुए यूपी सरकार को उनके द्वारा बनाई गई कमेटी से मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े की गंभीरता से जांच करने के लिए कहा। कोर्ट ने कमेटी को कहा कि अगर मुआवजा वितरण में कुछ गलत हुआ है या नोएडा अथॉरिटी द्वारा की गयी विभागीय जांच में कोई अधिकारी प्रथम दृष्टया शामिल पाया जाता है तो उसकी भी रिपोर्ट दाखिल की जाए।
इस मामले में कोर्ट की दखल के बाद यूपी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। जिसे मुआवजा वितरण में हुए फर्जीवाड़े की जांच कर अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी थी।
दरअसल, नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा वितरण में हुए फर्जीवाड़े से जुड़े जमानत के एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि नोएडा अथॉरिटी के एक-दो अफसर इस फर्ज़ीवाड़े में शामिल नहीं हैं बल्कि प्राधिकरण का पूरा सेटअप इसमें मिला हुआ है।
यह मामला नोएडा के दो अधिकारियों और एक भूमि मालिक के खिलाफ दर्ज किया गया था। इन लोगों पर सात करोड़ 26 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है।