Thursday, January 23, 2025

गैर निवासी क्रूज शिप संचालकों के लिए आयकर अधिनियम में संशोधन अधिसूचित

नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने गैर-निवासी क्रूज शिप ऑपरेटरों के लिए अनुमानित कराधान व्यवस्था की प्रयोज्यता के लिए शर्तें निर्धारित करने हेतु आयकर नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया है।

आयकर विभाग ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने के उपाय के रूप में वित्त अधिनियम, 2024 ने क्रूज जहाजों के संचालन के व्यवसाय में लगे गैर-निवासियों के लिए एक अनुमानित कराधान व्यवस्था शुरू की गई है। इसके अलावा किसी विदेशी कंपनी को भारत में ऐसे जहाजों का संचालन करने वाली संबंधित कंपनी से प्राप्त क्रूज जहाजों के पट्टा किराये से होने वाले इनकम के लिए भी छूट प्रदान की गई है।

सीबीडीटी की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक इस प्रकल्पित कराधान व्यवस्था की प्रयोज्यता निर्धारित शर्तों के अधीन है। इसमें गैर-निवासियों के लिए निर्धारित इन शर्तों के अनुसार संचालित किए जाने वाले यात्री जहाज की वहन क्षमता 200 से अधिक यात्रियों की होनी चाहिए या इसकी लंबाई 75 मीटर या उससे अधिक होनी चाहिए तथा इसमें यात्रियों के लिए मनोरंजन और मनोरंजन के लिए उपयुक्त भोजन और केबिन की सुविधा होनी चाहिए।

अधिसूचना के मुताबिक
संचालित किए जाने वाले जहाज को भारत के कम से कम दो समुद्री बंदरगाहों या भारत के एक ही समुद्री बंदरगाहों को दो बार छूते हुए निर्धारित यात्रा या तटीय भ्रमण पर होना चाहिए। यह भी अनिवार्य है कि संचालित किया जाने वाला जहाज मुख्य रूप से यात्रियों को ले जाने के लिए हो, न कि माल ढोने के लिए। इसके अलावा जहाज को पर्यटन मंत्रालय या शिपिंग मंत्रालय द्वारा जारी प्रक्रिया और दिशानिर्देशों के अनुसार संचालित किया जाना होगा।

इन संशोधनों का प्रस्ताव केन्द्रीय बजट में क्रूज-शिपिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत को एक आकर्षक क्रूज पर्यटन स्थल बनाना, देश में क्रूज शिपिंग के लिए वैश्विक पर्यटकों को आकर्षित करना और घरेलू पर्यटकों के बीच क्रूज शिपिंग को लोकप्रिय बनाना था।

उल्‍लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पांच वर्षीय क्रूज भारत मिशन भी शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 2029 तक 10 लाख यात्रियों तक पहुंच कर तथा 4,00,000 नौकरियां सृजित करके भारत में क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस मिशन में एक समर्पित कोष की स्थापना, कैबोटेज विनियमों को आसान बनाना और वित्तीय प्रोत्साहन शामिल हैं।

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