Friday, November 22, 2024

महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्यों का तालमेल जरूरी : अन्नपूर्णा देवी

नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल आवश्यक हैं। मंत्री ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्यों में महिला एवं बाल विकास और सामाजिक कल्याण मंत्रियों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में प्रशासकों और उप राज्यपालों के साथ अपनी पहली राष्ट्रीय स्तर की बैठक में यह बात कही। अन्नपूर्णा देवी ने कहा, ”हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारे प्रयासों का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे, जिसके लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करना जरूरी है।

 

 

इससे न केवल राज्यों का विकास होगा, बल्कि हमारे देश की समग्र प्रगति में भी योगदान मिलेगा, जो प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।” उन्होंने मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0, मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति के तहत मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। 28 में से 21 राज्य मंत्रियों की भागीदारी वाली बैठक में देवी ने जोर देकर कहा कि विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने और देश भर में महिलाओं और बच्चों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग आवश्यक है। बैठक के दौरान राज्यों के मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण और कल्याण की दिशा में किए जा रहे विशिष्ट प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के स्तर पर किए गए सहयोग की भी सराहना की और कहा कि इससे राज्यों में तीनों मिशनों के क्रियान्वयन को गति मिलेगी और उनके चल रहे प्रयासों को बल मिलेगा।

 

 

केंद्रीय मंत्री ने उन्हें अपने स्तर पर समय-समय पर सहयोग जारी रखने का आश्वासन दिया। अन्नपूर्णा देवी ने कहा, “मंत्रालय एक समावेशी माहौल को बढ़ावा देने तथा देश में महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण और कल्याण को समर्थन देने वाली नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।” पिछले महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी कहा था कि देश ने बेहतर परिवार नियोजन सेवाओं के माध्यम से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में जबरदस्त प्रगति की है। सरकार की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय योजना कार्यक्रम में कई तरह के गर्भ निरोधक साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मई में जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) में भी इसे दोहराया गया था।

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