Monday, December 23, 2024

मणिपुर पर चर्चा के अलावा सदन में फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं चाहता विपक्ष, संसद 24 जुलाई तक स्थगित

नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा को सोमवार 24 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। भारी हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों को स्थगित करना पड़ा।

शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई। सदन शुरू होते ही कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने मणिपुर में हो रही हिंसा का मुद्दा उठाया और इस पर विस्तार से चर्चा की मांग की। शोर-शराबे के बीच राज्यसभा को पहले दोपहर 2 बजकर 30 मिनट तक के लिए स्थगित किया गया। सदन की कार्यवाही प्रारंभ होने पर फिर से हंगामा शुरू हो गया, जिसके बाद राज्यसभा को सोमवार 24 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

शिवसेना उद्धव ठाकरे दल के सांसद संजय राउत ने कहा कि मणिपुर की हिंसा पर यूरोप के संसद में चर्चा हुई, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चर्चा हुई, यूएन में सवाल खड़े होते हैं। लेकिन, हमारे सदन में चर्चा नहीं हो रही है। प्रधानमंत्री 80 दिन बाद जवाब दे रहे हैं। दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया जाता है, आप समान नागरिक कानून की बात करते हैं, उससे पहले मणिपुर की कानून-व्यवस्था की बात करें।

कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल राज्यसभा में मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए विपक्ष के विभिन्न सांसदों ने नोटिस भी दिया। अधिकांश विपक्षी सांसदों का कहना है कि राज्यसभा में मणिपुर विषय पर चर्चा नियम-267 के तहत कराई जाए। विपक्षी सांसद नियम-267 के अंतर्गत राज्यसभा के अन्य सभी विषयों को निलंबित करके मणिपुर मुद्दे पर सदन में विस्तार से चर्चा चाहते थे।

हालांकि, सरकार इस पर शॉर्ट डिस्कशन के लिए तैयार है। इसी गतिरोध के कारण एक बार फिर हंगामा शुरू हुआ और कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। शुक्रवार को राज्यसभा में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने मणिपुर का विषय उठाया। उन्होंने कहा कि पूरा देश मणिपुर में हो रही हिंसा की वजह से शर्मिंदा हो रहा है। इसके बाद कई अन्य सांसदों ने भी इस विषय को उठाया और संसद में हंगामा शुरू हो गया।

विपक्षी सांसदों ने मांग की थी कि 21 जुलाई को नियम-267 के तहत राज्यसभा के शेष सभी कामकाज को निलंबित कर मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराई जाए। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर संसद में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए और सरकार को सभी प्रश्नों का उत्तर सदन में देना चाहिए।

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