जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने फरवरी, 1985 में पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म का प्रयास करने से जुडे मामले में वर्ष 1992 में दायर अपील को खारिज कर याचिकाकर्ता अभियुक्त को शेष सजा भुगतने के लिए सरेंडर करने को कहा है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश शिव प्रकाश की याचिका पर दिए। घटना के समय अभियुक्त 20 साल का था। वहीं अब 59 साल की उम्र में फैसला आया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रयास करने के लिए सबसे पहले संबंधित अपराध करने का इरादा होना चाहिए। उसके बाद ऐसा कार्य किया जाए, जो अनिवार्य रूप से अपराध करने के लिए किया गया हो। वहीं ऐसा कार्य अपराध के परिणाम के निकट होना चाहिए। मामले में अभियुक्त ने पीडिता के साथ दुष्कर्म करने के लिए वह सबकुछ किया, जो जरुरी था। ऐसे में यह दुष्कर्म के प्रयास का स्पष्ट मामला है।
याचिका में अधिवक्ता प्रणव पारीक ने बताया कि पीडिता के पिता ने 7 फरवरी, 1985 को दुष्कर्म का प्रयास का मामला बारां थाने में दर्ज कराया था। जिसमें एडीजे कोर्ट ने 18 दिसंबर, 1991 में याचिकाकर्ता को पांच साल की सजा सुनाई थी। मामले में पीडिता के अलावा कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं था। इसके अलावा मेडिकल में पीडिता के चोट भी नहीं मिली। वहीं सरकारी पक्ष की ओर से अधिवक्ता मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि एफएसएल जांच में दुष्कर्म का प्रयास साबित है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।