भिवानी । बेटियों के प्रति अब समाज की सोच बदल रही है। बेटियों को बेटों से भी ज्यादा महत्व दिया जाने लगा है। एक ऐसा ही उदाहरण स्थानीय सेक्टर-23 में देखने को मिला है, जहां रतिपाल सिंह चौहान ने अपनी बेटी हिमांशी की शादी में बेटों की भांति घुड़चढ़ी निकालकर बेटियां बेटों से कम नहीं होने का संदेश दिया।
धूमधाम के साथ जिस गली से हिमांशी घोड़ी पर बैठकर, हाथ में तलवार लेकर निकली उसे देखने के लिए महिलाएं, बच्चे, युवा सभी अपने घरों के सामने या घर की छतों पर नजर आए।
हिमांशी घोड़ी पर चढक़र हाथ में तलवार लेकर अराध्य देव के मंदिर में पहुंची। जहां पर उन्होंने पूजा-अर्चना की। अराध्य देवों के सम्मुख माथा टेका तथ नाचते गाते, ढोल नगाड़ों के साथ घुड़चढ़ी निकाली गई।
लाडली बेटी की घुड़चढ़ी की चर्चाएं हर जगह हो रही है। सभी लोग इसे एक अच्छा कदम मान रहे हैं। क्षेत्रवासियों का भी कहना है कि जब लडक़े की घुड़चढ़ी शान से निकाली जा सकती है तो लडक़ी की क्यों नहीं। बेशक ही इसे क्षेत्र के एक मिसाल के रूप याद रखा जाएगा।
पिता रतिपाल सिंह चौहान ने कहा कि बेटियां भी किसी प्रकार बेटों से कम नहीं। उनकी बेटी हिमांशी की इच्छा थी कि उसकी भी घुड़चढ़ी निकाली जाए। बेटी की इच्छा का मान रखते हुए उन्होंने अपने साम्थर्य अनुसार धूमधाम के साथ बेटी की घुड़चढ़ी निकाली।
उन्होंने कहा कि बेटी की घुड़चढ़ी करवाने का उद्देश्य यही है कि समाज को संदेश दिया जाए कि लिंग चयन आधारित भ्रूण हत्या को बंद कर बेटियो को भी शिक्षा से लेकर हर स्तर पर छूट व सहयोग चाहिए. ताकि वह अपना और आपका नाम रोशन कर सकें।