Wednesday, November 6, 2024

सर्वोत्तम आहार है शाकाहार

शाकाहार संपूर्ण एवं उत्तम आहार है, जो हमारे शरीर को बिना कोई नुकसान पहुंचाये शरीर की सभी आवश्यकताओं की सही अर्थों में पूर्ति करता है।

प्रकृति द्वारा प्रदत्त सभी खाद्य वस्तुओं, जैसे-हरे शाक-स़ब्जी, फल, दालें, अनाज, दूध आदि में मनुष्य के शरीर के लिये सभी आवश्यक पोषक पदार्थ, जैसे-प्रोटीन, विटामिन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा भरपूर मात्रा में होते हैं अत: हमें अपने शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये मांसाहार की कतई आवश्यकता नहीं है।

पहले माना जाता था कि अण्डा तथा अन्य मांसाहारी पदार्थों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है परन्तु अब वैज्ञानिकों तथा डॉक्टरों ने इस तथ्य को नकार दिया है। प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि शाकाहारी पदार्थों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा खनिज पदार्थों की मात्रा मांसाहारी पदार्थों से कहीं अधिक होती है।

उदाहरण के तौर पर सोयाबीन के प्रति 100 ग्रा. में प्रोटीन 43.2 प्रतिशत तथा मूंग व मूंगफली के प्रति 100 ग्रा. में क्रमश: 24.0 प्रतिशत तथा 31.9 प्रतिशत प्रोटीन होता है जबकि अण्डा, मछली व बकरे के मांस में क्रमश: केवल 13.3, 22.6 तथा 18.5 ग्रा. प्रोटीन होता है। इसी प्रकार शाकाहारी भोज्य पदार्थों में खनिज, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन्स की मात्रा भी मांसाहारी पदार्थों की तुलना में कहीं अधिक होती है।

एक बहुत पुरानी कहावत है जैसा खाये अन्न, वैसा होये मन’ अर्थात् हम जो कुछ भी खाते हैं, उसका हमारी मानसिक स्थिति पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि शाकाहारी व्यक्ति दयालु, संवेदनशील, कोमल मन वाले तथा सात्विक प्रवृत्ति वाले होते हैं, वहीं इसके विपरीत मांसाहारी व्यक्ति अपेक्षाकृत क्रूर, हिंसक, कठोर हृदय वाले तथा तामसिक प्रवृत्तियों वाले होते हैं।

शाकाहारी पदार्थों में जहां दालें प्रोटीन की खान हैं तो फल एवं सब्जियां विटामिन्स का भण्डार हैं। रेशेदार फल पाचन में सहायक हैं तो गेहूं तथा चावल कार्बोहाइड्रेट का खजाना हैं। आलू तथा अरबी स्टार्च से युक्त हैं तो दूध कैल्शियम से भरपूर है जो दांतों व हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

शाकाहारी पदार्थ, फल व सब्जियां सिर्फ शरीर को पोषण ही नहीं देते बल्कि कई पदार्थ तो बहुत-सी बीमारियों के उपचार में भी सहायक होते हैं। उदाहरण के तौर पर लहसुन कोलेस्ट्रोल को कम करता है अत: हृदयरोगियों को प्रतिदिन 5-6 कली लहसुन खाने की सलाह दी जाती है। पालक व अनार आयरन से भरपूर होता है अत: एनीमिया के रोगियों के लिये इनका सेवन किसी दवा से कम नहीं। डायबिटिज के रोगियों के लिये करेले के रस का सेवन रामबाण औषधि है तो जामुन की गुठली का चूर्ण भी डायबिटिज से शत्रुता निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। अदरक की चाय सर्दी-खांसी में राहत देती है तो केला दस्त में राहत पहुंचाता है।

यही नहीं, नवजात शिशुओं को तो भोजन के रूप में प्रथम परिचय केले से ही करवाया जाता है। गाजर के सेवन से नेत्र ज्योति शर्तिया बढ़ती है तो आंवला विटामिन सी का भण्डार है जो स्कर्वी तथा अन्य कई बीमारियों से लडऩे की क्षमता रखता है। विशेष बात यह है कि गर्म करने पर भी आंवले का विटामिन सी नष्ट नहीं होता अत: जिस भी रूप में चाहें, आंवले का सेवन कर सकते हैं।

सिद्ध हो चुका है कि मांसाहारी पदार्थों में कोलेस्ट्राल बहुत अधिक होता है जिससे हृदयरोग, किडनी तथा लिवर की बीमारियां होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। यही कारण है कि शाकाहारी व्यक्ति मांसाहारी व्यक्तियों की अपेक्षा हृदय रोग एवं अन्य बीमारियों से अपेक्षाकृत कम पीडि़त होते हैं। वैज्ञानिक यह भी दावा करते हैं कि मांसाहार लगभग 160 बीमारियों का जनक होता है।

कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे शरीर की कोई भी ऐसी आवश्यकता नहीं है जो शाकाहार द्वारा पूरी न हो सके या कहें कि जिन्हें पूरी करने के लिये मांसाहार की आवश्यकता पड़े, अत: शाकाहार ही उत्तम आहार है।

यदि हम अपना खानपान तथा दिनचर्या नियमित कर उचित आहार-विहार का पालन करें तो निश्चय ही आधी से अधिक बीमारियों का निदान तो स्वत: ही हो जायेगा या कहें कि बीमारियां पैदा ही नहीं होंगी। तो क्यों न हम आज से ही शाकाहार को अपनाकर निरोगी जीवन जीने में स्वयं की मदद करें तथा निरोगी एवं स्वस्थ समाज की नींव रखें।
– ज्योति गुप्ता

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