मुजफ्फरनगर। नगर पालिका परिषद के साथ अनुबंध के तहत शहर में कूड़ा निस्तारण का काम कर रही दिल्ली की एमआईटूसी सिक्योरिटी एंड फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड अब गहरे आर्थिक संकट में फंस गई है। हाल ही में कंपनी पर 1.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया, जो उसके लिए बड़ी चुनौती बन गया है। इस जुर्माने के कारण पालिका प्रशासन ने कंपनी को निर्धारित भुगतान में से कटौती की है, जिससे कर्मचारियों के वेतन में देरी और अन्य समस्याएं पैदा हो गई हैं।
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नगर पालिका ने एमआईटूसी कंपनी को 55 वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन और डलाव घरों से कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी दी थी। इस अनुबंध के तहत कंपनी को पालिका से हर महीने 92 लाख रुपये का भुगतान मिलना तय हुआ था। कंपनी को कूड़ा संग्रह के बदले घरों और प्रतिष्ठानों से यूजर चार्ज वसूलकर पालिका के खाते में जमा करना था।
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हालांकि, कंपनी पर आरोप है कि उसने अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया और काम में लापरवाही बरती। इसी कारण पालिका प्रशासन ने सितंबर और अक्टूबर माह के भुगतान में से 1.05 करोड़ रुपये की कटौती कर दी।
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कंपनी के 450 कर्मचारियों का दो महीने का वेतन बकाया है। इससे पहले, कर्मचारियों ने वेतन के लिए पांच दिनों की हड़ताल की थी, जिसे सिटी मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप से सुलझाया गया। पालिका ने 32 लाख रुपये की आंशिक रकम जारी की थी, लेकिन वह केवल चालकों और सफाईकर्मियों का वेतन देने में इस्तेमाल हुई। सुपरवाइजर और ऑफिस स्टाफ का वेतन अब भी अटका हुआ है।
पालिका के ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने बताया कि कंपनी पर लापरवाही के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट में कंपनी के खिलाफ अधिकांश आरोप सही पाए गए। इसके चलते पालिका ने जुर्माना लगाया और भुगतान रोका।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अतुल कुमार ने कहा कि जुर्माने की रकम काटने का निर्णय जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। अक्टूबर माह में कंपनी को केवल 32 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जबकि बाकी राशि रोक ली गई।
कंपनी के परियोजना प्रबंधक पुष्पराज सिंह का कहना है कि बिना स्पष्ट कारण बताए पालिका ने सितंबर और अक्टूबर के तय भुगतान में कटौती की। इस कारण कंपनी को ईंधन और मरम्मत के खर्चे उठाने में भी परेशानी हो रही है। कंपनी के वाहन अब पेट्रोल पंप से उधार डीजल भी नहीं ले पा रहे। पंक्चर जोड़ने वाले तक ने बिना भुगतान काम करने से इनकार कर दिया है। पालिका से सहयोग न मिलने के कारण कंपनी यूजर चार्ज वसूली में भी असफल हो रही है।
पालिका ने मामले की पूरी जांच के बाद चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के समक्ष प्रकरण रखने की बात कही है। इसके बाद ही कंपनी के बकाया भुगतान पर निर्णय लिया जाएगा।
पालिका की सख्ती ने कंपनी को अनुशासन में लाने का संदेश दिया है, लेकिन इसके साथ ही कर्मचारियों और शहरी सफाई व्यवस्था पर संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो सफाई व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है।