बेंगलुरु| कर्नाटक की सत्तारूढ़ भाजपा को विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा झटका लगा है, लोकायुक्त अधिकारियों ने चन्नागिरि निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी विधायक मदल विरुपक्षप्पा को टेंडर के बदले रिश्वत लेने के मामले में सोमवार शाम को गिरफ्तार कर लिया। कर्नाटक हाईकोर्ट ने विरुपाक्षप्पा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी और भाजपा विधायक, जो एक सार्वजनिक समारोह में भाग ले रहे थे, अचानक गायब हो गए।
लोकायुक्त के अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने के लिए चन्नागिरि स्थित उनके आवास पर गए। हालांकि, उन्होंने बेंगलुरु भागने की कोशिश की, मगर अधिकारियों ने उन्हें बीच रास्ते में ही हिरासत में ले लिया।
लोकायुक्त सूत्रों ने बताया कि आरोपी भाजपा विधायक को तुमकुरु जिले के क्यत्संद्रा के पास टोलगेट पर हिरासत में ले लिया गया। ऑपरेशन में छह डीएसपी और इंस्पेक्टरों की एक टीम ने हिस्सा लिया था।
विधायक के बेटे प्रशथ मदल को कर्नाटक साबुन और डिटर्जेट लिमिटेड (केएसडीएल) के लिए कच्चे माल की खरीद के टेंडर के बदले कथित तौर पर ठेकेदार से 40 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था।
विधायक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई केएसडीएल के अध्यक्ष थे और उनका बेटा कथित तौर पर अपने पिता की ओर से रिश्वत ले रहा था।
पुलिस ने विधायक और उनके बेटे के आवास से 8.12 करोड़ रुपये और 1.6 किलो सोना बरामद किया था।
इस बीच, एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु ने विरुपक्षप्पा की अंतरिम अग्रिम जमानत अर्जी को तत्काल पोस्ट करने पर आपत्ति जताई थी और गंभीर चिंता प्रकट की थी।
एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय में सामान्य अभ्यास यह है कि अग्रिम जमानत जैसे नए मामलों में पोस्टिंग के लिए कई दिन और सप्ताह लगते हैं। लेकिन, वीआईपी मामलों को रातों-रात रफा-दफा कर दिया जाता है। इस प्रथा से आम आदमी का न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ जाएगा। पत्र में कहा गया है कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एक विधायक के साथ भी आम आदमी जैसा व्यवहार किया जाए।
9 मार्च को जमानत मिलने के बाद उनके समर्थकों द्वारा जश्न मनाने की भी आलोचना की गई थी।