नई दिल्ली/मुंबई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के आगामी बजट सत्र से पहले, संसद भवन परिसर में मजबूत सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाने की बात कहते हुए कहा है कि संसद परिसर की मजबूत और अचूक सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था में परिसर के जोखिम और सदस्यों की गरिमा दोनों को ध्यान में रखा जाएगा।
मुंबई में 27 जनवरी को शुरू हुए दो दिवसीय 84 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का रविवार को समापन हो गया। उपराष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने समापन भाषण दिया। लोकसभा अध्यक्ष के साथ-साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस भी समापन सत्र में शामिल हुए और सम्मेलन को संबोधित भी किया। इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के 16 विधान सभा अध्यक्षों सहित 18 राज्यों के 26 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान पीठासीन अधिकारियों ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता से जोड़ने और उन्हें अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाने की कार्य योजनाओं और विधानमंडलों को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ‘एक राष्ट्र, एक विधान मंच’ का सपना 2024 में साकार होगा। संसद और विधान मंडलों के कामकाज में नई प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का उल्लेख करते हुए बिरला ने विभिन्न मीडिया संस्थानों द्वारा एक्सपंजड कार्यवाही के प्रसारण सम्बंधित एक सवाल के जवाब में कहा कि यह एक ग्रे एरिया है और इस दिशा में एक कार्य योजना की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया सहित मीडिया को संसदीय कार्यवाही के प्रामाणिक रिकॉर्ड की रिपोर्ट करनी चाहिए। विधान मंडल को निर्बाध चर्चा का मंच बताते हुए बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि विधान मंडलों में बहस अधिक और व्यवधान कम होना चाहिए और अधिक उत्पादकता के साथ कार्य करते हुए लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर गुणात्मक चर्चा करनी चाहिए । उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से ऐसी कार्ययोजना और रणनीति बनाने का आग्रह किया, जिससे विधान मंडलों का समय बर्बाद न हो, और सदन के समय का उपयोग जनता के कल्याण के लिए वाद-विवाद और चर्चा में किया जा सके।
उन्होंने जोर देकर कहा कि जबरन और नियोजित स्थगन की घटनाएं और व्यवधानों के कारण संसद के समय की हानि लोकतंत्र के सभी हितधारकों के लिए चिंता का विषय है। ऐसी घटनाओं से सदन की गरिमा कम होती है और जनता के बीच नकारात्मक छवि बनती है। बिरला ने यह भी बताया कि दल-बदल विरोधी कानून की समीक्षा के लिए महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों का विश्वास मजबूत करने के लिए – संसद और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता और समिति-व्यवस्था को अधिक उद्देश्यपूर्ण एवं प्रभावी कैसे बनाया जाए, पर चर्चा हुई और सम्मेलन के समापन पर संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए वर्तमान नियमों की समीक्षा कर उसमें आवश्यक संशोधन करने, जमीनी स्तर की लोकतांत्रिक संस्थाओं के क्षमता निर्माण को बढ़ाने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने एवं जन भागीदारी को प्रोत्साहित करने, विधानमंडलों की समितियों को और अधिक प्रभावी बनाने और विधायिकाओं के बीच परस्पर संसाधनों और अनुभवों को साझा करने के उद्देश्य से ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ के क्रियान्वयन के लिए सक्रिय कदम उठाने सहित पांच संकल्प स्वीकार किए गए।