नई दिल्ली । राजस्थान विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे भाजपा आलाकमान ने गुरुवार को चुनावी तैयारी से जुड़े दो महत्वपूर्ण समितियों – प्रदेश संकल्प पत्र समिति और चुनाव प्रबंधन समिति – का ऐलान कर दिया।
पार्टी आलाकमान ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को संकल्प पत्र समिति का और नारायण पंचारिया को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया है।
हालांकि, इन दोनों सूचियों की सबसे अधिक हैरानी भरी बात यह रही कि इन दोनों समितियों में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान भाजपा की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे सिंधिया को जगह नहीं दी गई है।
इसी के साथ कयास लगने भी शुरू हो गए कि क्या भाजपा आलाकमान ने राजस्थान में बदलाव करने का मन बना लिया है?
क्या राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे सिंधिया का युग समाप्त होने जा रहा है?
हर राज्य में नया और युवा नेतृत्व खड़ा करने के अभियान में जुटे भाजपा आलाकमान को राजस्थान की जमीनी राजनीति का अंदाजा बखूबी है।
उन्हें इस बात का भी अहसास है कि वसुंधरा राजे सिंधिया अकेले अपने दम पर भले ही पार्टी को बहुमत दिला पाने की स्थिति में न हों, लेकिन उनकी नाराजगी पार्टी को हरा जरूर सकती है। इसी के चलते पार्टी आलाकमान फिलहाल सीधे टकराव से बचने की मुद्रा में ही नजर आ रही है।
पार्टी की परंपरा के विपरीत जाकर इस बार भाजपा ने दिल्ली की बजाय राजस्थान से इन दोनों समितियों की लिस्ट जारी की।
इससे भी बड़ी बात यह रही कि विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिहाज से सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाने वाली इन समितियों के संयोजक, सह संयोजक और सदस्यों की यह सूची भाजपा आलाकमान की बजाय राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के हस्ताक्षर से जारी किया गया।
यहां तक कि वसुंधरा राजे सिंधिया को इन समितियों में शामिल नहीं किए जाने के बारे में भी पूछे गए सवाल का जवाब न तो राज्य के चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी स्पष्ट तौर पर दे पाए और न ही राज्य के प्रभारी एवं राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह।
जोशी ने कहा कि वसुंधरा राजे हमारी पार्टी की बहुत ही वरिष्ठ नेता हैं, हमने उनको कई प्रोग्राम में अभी इंवॉल्व किया है और आगे भी इंवॉल्व करते रहेंगे।
अरुण सिंह ने वसुंधरा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने की बात कहते हुए यह कहकर सफाई दी कि पार्टी के तमाम बड़े नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जाएगी, वसुंधरा राजे समेत सभी बड़े नेता परिवर्तन यात्राओं में शामिल होंगे और आने वाले दिनों में सभी नेता एकजुट होकर पार्टी के कार्यक्रमों में नजर आएंगे।
वसुंधरा राजे सिंधिया पिछले कई महीनों से राजस्थान के साथ-साथ दिल्ली में भी सक्रिय रही हैं। राजस्थान में अकेले अपने दम पर बड़े-बड़े कार्यक्रम कर एक ओर जहां अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने का प्रयास किया तो वहीं दिल्ली आकर पार्टी के आला नेताओं के सामने अपनी बात भी रखी।
लेकिन, भाजपा आलाकमान ने उन्हें एक संकेत तो दे ही दिया है और अब पार्टी को उनके रुख का भी इंतजार है।
सूत्रों की माने तो कोई भी अंतिम या बड़ा फैसला करने से पहले वसुंधरा राजे सिंधिया गुट को अभी भी चुनाव प्रचार अभियान समिति के ऐलान का इंतजार है।
हालांकि, संकेत बिल्कुल साफ हैं लेकिन वसुंधरा गुट आखिरी समय तक इंतजार करने को तैयार है।
वसुंधरा राजे के समर्थकों को अभी भी यह लग रहा है कि पार्टी उनके कद और प्रभाव को देखते हुए उन्हें राजस्थान चुनाव अभियान में महत्वपूर्ण और सम्मानजनक भूमिका दे सकती है इसलिए फिलहाल उनका गुट अभी भी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है।